भूकंप से जुड़े तथ्य -Information about Earthquake
आपने भूकम्प (Earthquake) के झटके अपने जीवन में कई बार महसूस किये होंगे. पर भूकंप है क्या और कैसे होता है, आपने कभी जानने की कोशिश की? खैर, भूकम्प (bhukamp) से कई सवाल परीक्षाओं में पूछे जाते हैं. पिछले 5 वर्षों में UPSC और SSC परीक्षाओं में कुल मिलाकर भूकम्प से सम्बंधित 25 सवाल आये हैं.
भूकंप की परिभाषा (Definition of Earthquake) :
भूकम्प भूपटल का कम्पन अथवा लहर है जो धरातल के नीचे चट्टानों के लचीलेपन या गुरुत्वाकर्षण की समस्थिति में क्षणिक अव्यवस्था होने के कारण उत्पन्न होता है.
भूकम्पों का वर्गीकरण(Classification of Earthquakes)
A. प्राकृतिक भूकम्प (Natural Earthquake)
प्राकृतिक भूकंप ज्वालामुखीय उद्भेदन, पृथ्वी में हलचल, मोड़दार पर्वतों के आस-पास भूमि असंतुलन और भूगर्भ में स्थित प्लेटोनिक प्लेटों के टकराव से होते हैं.
i) ज्वालामुखीय उद्भेदन के कारण उत्पन्न भूकम्प के उदाहरण (examples) हैं— 1885 में क्राकाटोआ ज्वालामुखी एवं 1968 में एटना ज्वालामुखी के उद्भेदन से उत्पन्न भूकम्प.
[stextbox id=”info”]क्या आप जानते हैं क्राकाटोआ ज्वालामुखी पर्वत और एटना ज्वालामुखी पर्वत कहाँ हैं?[/stextbox]
क्राकाटोआ (Krakatoa volcano):– Java and Sumatra islands in the Indonesia
एटना (Etna volcano):– East coast of Sicily, Italy
ii) परिवर्तन से जन्मा हुआ भूकंप: ये भूकंप पृथ्वी के आवंटित हलचलों से भूगर्भ में भ्रंशन और चट्टानों में अव्यवस्था के कारण उत्पन्न होते हैं. उदाहरण:–सन् 1872 ई. में कैलफोर्निया के Owens Valley में आया भूकम्प.
iii) असंतुलन-जनित भूकंप: मोड़दार पर्वतीय क्षेत्रों में भू-संतुलन में अव्यवस्था उत्पन्न होने से ऐसे भूकंप आते हैं. उदाहरण: 1949 का हिन्दूकुश का भूकम्प (Hindukush earthquake, Afghanistan)..हिमालय की तराई में आने वाले भूकम्प.
iv) प्लूटोनिक भूकम्प (Plutonic Earthquake)– ये भूकम्प धरातल की अत्याधिक गहराई में प्लेटोनिक प्लेटों में टकराव से उत्पन्न होते हैं. These are Deep-focus earthquakes.
B. भूकंप की गहराई के आधार पर वर्गीकरण
i) ऊपरी भूकंप: इसकी गहराई 50 किमी. तक होती है.
ii) मध्यवर्ती भूकम्प: उत्पत्ति केंद्र 50-250 किमी. की गहराई पर होता है.
iii) गहरे भूकम्प: उत्पत्ति केंद्र धरातल से 200-700 किमी. की गहराई पर होता है.
भूकंप के कारण (Causes of Earthquake)
- ज्वालामुखी क्रिया (Volcanic eruption)
- भ्रंशन एवं वलन
- Internal Gases की मात्रा में वृद्धि
- Surplus water pressure
- भूपटल (Earth crust) में संकुचन (contraction) की स्थिति.
- पृथ्वी का परिभ्रमण (Rotation)
- मानवीय कारण :–Atom बम विस्फोट etc…
- प्लेट टेक्टोनिक प्लेटों में टकराव
भूकम्पों का विश्व वितरण (Distribution of Earthquakes in the World)
i) प्रशांत महासागरीय पेटी (Pacific Ocean Belt)
- यह विश्व का सबसे विस्तृत भूकम्प क्षेत्र है (The world’s greatest earthquake belt, the circum-Pacific seismic belt, is found along the rim of the Pacific Ocean).
- यहाँ के भूकम्प प्रायः सागरीय तट, नवीन वलित पर्वतीय क्षेत्र एवं ज्वालामुखी क्षेत्रों में आते हैं.
- प्रमुख भूकंपीय क्षेत्र:- जापान, फिलिपिन्स, कोरल द्वीप, कैलफोर्निया, चिली, मेक्सिको, न्यूज़ीलैंड, अलास्का.
- यहाँ पर जापान में प्रतिवर्ष 1500 से अधिक भूकम्प आते हैं.
ii) मध्य महाद्वीपीय पेटी (Inter-Continental Belt)
- इसे भूमध्य सागरीय पेटी भी कहते हैं, यहाँ विश्व के 21% भूकम्प आते हैं, जो भ्रंशन एवं तनाव मूलक होते हैं.
- प्रमुख भूकंपीय क्षेत्र:- पिरेनीज, आल्प्स, काकेशस, हिमालय पर्वतीय क्षेत्र, अरब प्रायद्वीप, इटली, चीन, एशिया माइनर तथा बाल्कन क्षेत्र.
iii) मध्य अटलांटिक पेटी (Mid-Atlantic Belt)
- मध्य अटलांटिक रिज के सहारे फैली यह पेटी उत्तर में Iceland से प्रारम्भ होकर अटलांटिक महासागर के मध्यवर्ती उभार के पास Bouvet island तक विस्तृत है.
- यहाँ सर्वाधिक भूकम्प भूमध्य रेखा के आस-पास आते हैं.
१. फोकस (focus)— धरातल के नीचे जिस स्थान पर भूकंप की घटना प्रारम्भ होती है, उसे भूकम्प उत्पत्ति केंद्र या फोकस कहा जाता है.
२. भूकंप अधिकेंद्र — भूकंप मूल के ठीक ऊपर लम्बवत् स्थान जहाँ सबसे पहले भूकंपीय तरंगों का पता चलता है, अधिकेन्द्र (Epicenter) कहलाता है.
३. समान भूकम्पीय तीव्रता अर्थात् समान बर्बादी को मिलाने वाली रेखा को समभूकंपीय रेखा (Isoseismal line) कहते हैं.
४. किसी क्षेत्र के उन स्थानों को मिलाने वाली रेखा, जहाँ भूकंप एक साथ अनुभव किया जाता है, सहभूकंप रेखा (Homoseismal line) कहलाती है.
५. भूकम्प का अध्ययन भूकम्प विज्ञान (Scismology or Seismology) कहलाता है.
६. भूकंपीय तरंगों का अध्ययन करने वाला यंत्र “सिस्मोग्राफ (seismograph)” कहलाता है.
पृथ्वी की आन्तरिक सरंचना (Internal Structure of the Earth)
पृथ्वी की आन्तरिक संरचना के बारे में प्राप्त ज्ञान अप्रत्यक्ष प्रमाणों पर आधारित है. वस्तुतः पृथ्वी का निर्माण विभिन्न संघटन वाली चट्टानों के द्वारा हुआ है. Eduard Suess के अनुसार महादेशों की तलछटी चट्टानों के नीचे चट्टानों की तीन संकेन्द्रीय परते हैं:–
i) सियाल या ऊपरी परत: यह ग्रेनाइट एवं नीस जैसे अम्लीय चट्टानों से निर्मित है. Eduard Suess ने इसे सियाल कहा है. The rocks of the crust fall into two major categories – sial and sima (Suess,1831–1914).
ii) सीमा (Sima) या मध्यवर्ती परत: यह परत बेसाल्ट एवं ग्रैबो जैसी बेसिक चट्टानों से निर्मित है. इसे सीमा के नाम से जाना जाता है.
iii) कोर (Core) या मेंटल (Mantle): इसमें मुख्यतः निकेल एवं लोहा जैसी भारी धातुओं की प्रधानता है. पृथ्वी के चुम्बकत्व का कारण यही चट्टानें हैं.
भूकंपीय तरंगें (Seismic Waves)
भूकंपीय तरंगें मुख्य रूप से तीन प्रकार की होती हैं (three types of seismic waves), जिन्हें P, S एवं L तरंगों के नाम से जाना जाता है.
i) P तरंगें: ये प्राथमिक तरंगें (Primary or Preliminary Waves) हैं. इनका संचरण ध्वनि तरंगों के समान होता है, अर्थात् इनमें अणुओं का कम्पन तरंगों की दिशा में आगे एवं पीछे की ओर होता है. अतः इन्हें अनुल्म्ब तरंगें (Longitudinal Waves) या संपीडन तरंगें (Compression Waves) भी कहा जाता है. ये तरंगें ध्वनि तरंगों के ही समान ठोस, तरल एवं गैसीय माध्यमों से होकर गुजर सकती हैं. यह सर्वाधिक तीव्र गति से चलने वाली तरंगें हैं, अतः सिस्मोग्राफ पर सर्वप्रथम P उसके बाद S एवं अंत में L तरंगें अंकित होती हैं. P तरंगों की गति ठोस पदार्थों में सबसे अधिक होती है.
ii) S तरंगें: ये अनुप्रस्थ तरंगें (Transverse or Shear waves) हैं. ये तरंगें धरातल पर P तरंगों के पश्चात् प्रकट होती हैं. अतः इन्हें द्वितीयक या गौण तरंगें (Secondary Waves) भी कहा जाता है.
iii) L तरंगें: ये तरंगें लम्बी अवधि वाली तरंगें (Long Waves) हैं. इनका संचरण केवल धरातलीय भाग में ही होता है, अतः इन्हें धरातलीय तरंगे भी कहते हैं, अतः ये तरंगें सर्वाधिक विनाशकारी होती है. इनका वेग 1.5-3 किमी/प्रति सेकंड होता है. L तरंगें आड़े-तिरछे (Zig Zag) घक्का देती हैं.