प्रत्यय हिंदी ग्रामर
परिभाषा – वे शब्दांश जो किसी शब्द के अंत में लगकर उस शब्द के अर्थ में परिवर्तन कर देते है अर्थात नये अर्थ का बोध कराते है उन्हें प्रत्यय कहते है |
जैसे- समाज+इक = सामाजिक
सुगंध+इत = सुगन्धित
भूलना+ अक्कड = भुलक्कड
मीठा+आस= मिठास
अत: प्रत्यय लगाने पर शब्द एवं शब्दांश में संधि नहीं होती बल्कि शब्द के अंतिम वर्ण में मिलने वाले प्रत्यय के स्वर की मात्रा लग जाएगी, व्यंजन होने पर वह यथावत रहता है |
लोहा+आर= लोहार
नाटक+कार = नाटककार
प्रकार
हिंदी में प्रत्यय मुख्यत: दो प्रकार के होते है –
- कृदन्त प्रत्यय
- तद्दित प्रत्यय
कृदन्त प्रत्यय
वे प्रत्यय जो धातुओं अर्थात क्रिया पद के मूल रूप के साथ लगकर नये शब्द का निर्माण करते है कृदन्त प्रत्यय कहलाते है | हिंदी क्रियाओं में अंतिम वर्ण में ‘ना’ का लोपकर शेष शब्द के साथ प्रत्यय का योग किया जाता है | कृदन्त या कृत प्रत्यय के पांच प्रकार होते है –
- कृतवाचक : वे प्रत्यय जो कर्तावाचक शब्द बनाते है जैसे –
अक = लेखक, नायक, गायक, पाठक
अक्कड = भुलक्कड, घुमक्कड़, पियक्कड़, कुदक्कड
आक = तैराक, लडाक
आलू = लडाकू
आड़ी = खिलाड़ी
इयल = अड़ियल, मरियल
एरा = लुटेरा, बसेरा
ऐया = गवैया
ओडा = भगोड़ा
ता = दाता
वाला = पढनेवाला
हार = राखनहार, चाखनहार
- कर्मवाचक – वे प्रत्यय जो कर्म के अर्थ को प्रकट करते है
औना = खिलौना (खेलना)
नी = सुघनी (सूंघना)
- करणवाचक – वे प्रत्यय जो क्रिया के कारण हो बताते है
आ = झुला (झुलना)
ऊ = झाड़ू (झाड़ना)
न = बेलन (बेलना)
नी = कतरनी (कतरना)
- भाववाचक – वे प्रत्यय जो क्रिया से भाववाचक संज्ञा का निर्माण करते है
अ = गार, लूट, तोल, लेख
आ = पूजा
आई = लड़ाई, कटाई, चढाई, सिलाई
आन = गिलान, चढान, सिलाई
आप = मिलाप, विलाप
आव = चढाव, भूमाव, कटाव
आवा = बुलावा
आवट = सजावट, लिखावट, मिलावट
आहत = घबराहट, चिल्लाहट
ई = बोली
औता = समझौता
औती = कटौती, मनौती
ती = बढती, उठती, चलती
त = बचत, खपत, बढत
न = फिसलन, एंठन
नी = मिलनी
- क्रिया बोधक – वे प्रत्यय जो क्रिया का ही बोध कराते है
हुआ = चलता हुआ, पढ़ता हुआ
तद्दित प्रत्यय
वे प्रत्यय जो क्रिया पदों के अतिरिक्त संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण आदि शब्दों के साथ मिलकर नये शब्दों का निर्माण करते है उन्हें तद्दित प्रत्यय कहते है | जैसे –
छात्र+आ = छात्रा
देव + ई = देवी
मीठा + आस = मिठास
अपना + पन = अपनापन
तद्दित प्रत्यय 6 प्रकार के होते है –
- कृतवाचक तद्दित प्रत्यय – वे प्रत्यय जो कीसी संज्ञा, सर्वनाम या विशेषण के साथ लगाकर कर्तावाचक शब्द का निर्माण करते है जैसे –
आर = लुहार, सुनार
इया = रसिया
ई = तेली
एरा = घसेरा
- भाववाचक तद्दित प्रत्यय – वे प्रत्यय जो संज्ञा, सर्वनाम या विशेषण के साथ लगकर भाववाचक संज्ञा बनाते है –
आई = बुराई
आपा = बुढापा
आस = खटास, मिठास
आहट = कडवाहट
इमा = लालिमा
ई = गर्मी
ता = सुन्दरता, मुर्खता, मनुष्यता
त्व = मनुष्यत्व, पशुत्व
पन = बचपन, अपनापन, लडकपन, छुटपन
- सम्बन्धवाचक तद्दित प्रत्यय – इन प्रत्ययों के लगने से सम्बन्ध वाचक शब्दों की रचना होती है –
एरा = चचेरा, ममेरा
एक = शारीरिक
आलू = दयालु, श्रद्धालु
इत = फलित
ईला = रसीला, रंगीला
ईय = भारतीय
एला = विषैला
तर = कठिनतर
मान = बुद्दिमान
वत = पुत्रवत, मातृवत
- अप्रत्ययवाचक तद्दित प्रत्यय – संस्कृत के प्रभाव के कारण संज्ञा के साथ अप्रत्यय वाचक लगाने से संतान का बोध होता है –
a = वासुदेव, राघव, मानव
ई = दाशरथी, वाल्मीकि, सौमित्री
एय = कौन्तेय, गांगेय, भागिनेय
य = दैत्य, आदित्य
ई = जानकी, मैथिलि, द्रौपती
- ऊनतावाचक तद्दित प्रत्यय – संज्ञा, सर्वनाम या विशेषण के साथ प्रयुक्त होकर ये उनके लघुता सूचक शब्दों का निर्माण करते है |
इया = खटिया, लुटिया, डिबिया
ई = ,मण्डली, टोकरी, पहाड़ी
ओला = खटोला, संपोला
- स्त्रीबोधक तद्दित प्रत्यय – वे प्रत्यय जो संज्ञा, सर्वनाम या विशेषण के साथ लगकर उनके स्त्रीलिंग का बोध कराते है |
आ = सुता, छात्रा, अनुजा
आइन = ठकुराइन, मुंशियाइन
ऊर्दू के प्रत्यय
हिंदी की उदारता के कारण ऊर्दू के कतिपय प्रत्यय हिंदी में भी प्रयुक्त होने लगे है – जैसे
गर = जादूगर, बाजीगर, कारीगर, सौदागर
ची = अफीमची, तबलची, बाबरची
नाक = शर्मनाक, दर्दनाक
दार = दुकानदार, मालदार, हिस्सेदार, थानेदार
आबाद = अहमदाबाद, इलाहाबाद, हैदराबाद
इन्दा = परिंदा, बाशिंदा, शर्मिंदा, चुनिन्दा
इश = फरमाइश, पैदाइश, रंजिश
इस्तान = कब्रिस्तान, तुर्किस्तान, अफगानिस्तान
खोर = हरामखोर, घुसखोर, जमाखोर, रिश्वतखोर
गाह = ईदगाह, बंदरगाह, दरगाह, आरामगाह
गीर = राहगीर, जहांगीर
गी = दीवानगी, ताजगी, सादगी
गीरि = कुलीगिरी, मुंशीगिरी
नवीस = नक्शानवीस, अर्जीनवीस
नामा = अकबरनामा, सुलहनामा, इकरारनामा
बन्द = हथियारबंद, नज़रबंद, मोहरबंद
बाज = नशेबाज, चालबाज, दगाबाज
मंद = अकलमंद, जरुरतमन्द, एहसानमंद
साज = जिल्दसाज, घड़ीसाज, जालसाज
विशेष – कई बार प्रत्यय लगाने पर मूलशब्द के आदि मध्य या अंत में प्रयुक्त स्वरों में परिवर्तन हो जाता है जैसे –
इक = समाज-सामाजिक, इतिहास-ऐतिहासिक, नीति-नैतिक, पुराण-पौराणिक, भूगोल-भौगोलिक, लोक-लौकिक
य = मधुर-माधुर्य, दिति-दैत्य, सुंदर-सौन्दर्य
ई = दशरथ- दाशरथी, सुमित्रा-सौमित्री
एय = गंगा-गांगेय, कुन्ती-कौन्तेय
आइन = ठाकुर-ठाकुराइन, मुंशी-मुंशियाइन
इनी = हाथी-हथिनी
एरा = चाचा-चचेरा, लूटना-लुटेरा
आई = साफ़-सफाई, मीठा-मिठाई, बोना-बुनाई
अक्कड = भूलना-भुलक्कड, पीना-पियक्कड़
आरी = पूजना-पुजारी, भीख-भिखारी
ऊटा = काला-कलूटा
आव = खीचना-खिचाव, घूमना-घुमाव
आस = मीठा – मिठास
आपा = बूढा-बुढापा
आर = लोहा-लुहार, सोना-सुनार
इया = चूहा-चुहिया, लोटा-लुटिया
वाड़ी = फुल-फुलवाडी
वास = रानी-रनिवास
पन = छोटा-छुटपन, बच्चा-बचपन, लड़का-लडकपन
हारा = मनी-मनिहारा
एल = नाक-नकेल
आवना = लोभ-लुभावना
प्रत्यय