किरचॉफ के पहले नियम का डायग्रामकिरचॉफ के पहले नियम का डायग्राम

किरचॉफ का नियम हिंदी

किरचॉफ ने परिपथ के जिन दो नियमों को बताया था, वे इस प्रकार हैं –

  • प्रथम – किरचॉफ का धारा(current) का नियम (Kirchhoff’s current law-KCL)

  • द्वितीय – किरचॉफ का विभवान्तर(voltage) का नियम (Kirchhoff’s voltage law-KVL)

किरचॉफ का पहला नियम

किरचॉफ के धारा के नियम की परिभाषा (Definition of Kirchhoff’s current law) –

किसी विद्युत परिपथ में किसी भी बिन्दु या संधि (junction or node) पर मिलने वाली धाराओं का बीजगणितीय योग(algebraic sum) शून्य होगा।”

दुसरे शब्दों में कहे तो – “विद्युत परिपथ(electrical circuits) में किसी संधि या जंक्शन(जहाँ दो से अधिक चालक आकर मिलते हैं) पर आनेवाली धाराओं का योग वहां से जानेवाली धाराओं के योग के बराबर होती हैं।”
इसे किरचॉफ का ‘संधि नियम’, ‘जंक्शन का नियम’ या ‘बिन्दु नियम’ भी कहते है।
यह आवेश के संरक्षण के सिद्धांत पर आधारित है।
के पहले नियम का डायग्राम - किरचॉफ का नियम हिंदी | kirchhoff ka niyam
किरचॉफ के पहले नियम का डायग्राम

 

किरचॉफ का नियम क्या है

Example:- डायग्राम के अनुसार निम्न समीकरण से इसे समझा जा सकता हैं-
i2 + i3 + (- i1 – i4) = 0

या, i2 + i3 = i1 + i4

किरचॉफ का दुसरा नियम

किरचॉफ के विभवान्तर के नियम की परिभाषा (Definition of Kirchhoff’s voltage law) –

“किसी बंद लूप या परिपथ में विद्युत वाहक बल(EMF) का बीजगणितीय योग, उस परिपथ के प्रतिरोधकों के सिरों पर उत्पन्न विभवान्तरों(voltage) के बीजगणितीय योग के बराबर होता हैं।”

दुसरे शब्दों में कहे तो – “किसी लूप के सभी विभवान्तरों का बीजगणितीय योग शून्य होता है।”

इसे किरचॉफ का ‘लूप नियम’ भी कहते है। यह ऊर्जा के संरक्षण के नियम पर आधारित है।

नियम का डायग्राम - किरचॉफ का नियम हिंदी | kirchhoff ka niyam
किरचॉफ नियम का डायग्राम

Example:- डायग्राम के अनुसार निम्न समीकरण से इसे समझा जा सकता हैं-

VAB + VBC + VCD + VDA = 0

कुछ शब्दावली

नोड(Node): नोड यानि की जंक्शन, जहाँ विद्युत् परिपथ के दो या दो से अधिक चालक या कोई अन्य तत्व आकर मिलते हैं, नोड कहलाते हैं।

लूप(Loop): लूप एक बंद परिपथ को कहते हैं, जिसमें सर्किट से संबंधित तत्व या नोड एक से ज्यादा नही होते हैं।

परिपथ(Circuit):सर्किट एक बंद लूप को कहते हैं जिसमें चालकों, प्रतिरोधकों इत्यादि से होकर विद्युत् धारा प्रवाहित होती हैं।
रूसी वैज्ञानिक किरचाॅफ ने डीसी परिपथ के लिए दो नियम बनाए थे –

1. धारा का नियम
2. वोल्टेज का नियम

1.धारा का नियम –इस नियम के अनुसार “किसी बन्द DC Circuit में चालकों के संगम पर सभी धाराओं का बीजगणितीय योग शून्य होता है”
∑i = 0
अगर आसान शब्दों में कहूं तो, किसी डीसी परिपथ में संगम की ओर आने वाली धाराओं का योग, जाने वाली धाराओं के योग के बराबर होता है ।
Example :-

का नियम - किरचॉफ का नियम हिंदी | kirchhoff ka niyam

इसी तरह
3 + 5 = 4 + 3 + 1
3 + 5 – 4 -3 -1 = 0
अतः सिद्ध हुआ कि धाराओं का बीजगणितीय योग शून्य होता है ।
2.वोल्टेज का नियम –इस नियम के अनुसार “बंद DC circuit में, EMF (विद्युत वाहक बल) का बीजगणितीय योग, प्रतिरोधकों पर लगने वाले वोल्टेज के बीजगणितीय योग के बराबर होता है ।
∑ E = E I.R
अर्थ –
सभी EMF का बीजगणितीय योग = विभिन्न प्रतिरोधकों तथा उन पर लगने वाली धारा के गुणनफलों का बीजगणितीय योग

वैद्युत परिपथ के लिए किरचॉफ के नियमों का व्याख्या सहित वर्णन कीजिए

किरचॉफ के नियम के अनुसार i1 + i2 – i3 – i4 – i5 = 0 या i1 + i2 = i3 + i4 + i5 स्पष्ट है कि परिपथ के किसी बिन्दु पर आने वाली धाराओं का योग वहाँ से जाने वाली धाराओं के योग के बराबर होता है यह नियम आवेश के संरक्षण को व्यक्त करता है।

kirchhoff ka niyam

किरचॉफ के नियम Kirchhoff’s Laws- प्रथम नियम- किसी वैद्युत परिपथ की किसी भी सन्धि पर मिलने वाली धाराओं का बीजगणितीय योग algebraic sum शून्य होता है;

अर्थात्  ∑i = 0 माना कि चालक जिनमें धाराएँ i1 i2 i3 i4 व i5 बह रही हैं सन्धि O पर मिलते हैं।

चिह्न परिपाटी के अनुसार सन्धि की ओर आने वाली धारा धनात्मक है।

अतः i1 वे i2 धनात्मक तथा i3 i4 व i5 ऋणात्मक हैं।

किरचॉफ के नियम के अनुसार i1 + i2 – i3 – i4 – i5 = 0 या i1 + i2 = i3 + i4 + i5 स्पष्ट है

कि परिपथ के किसी बिन्दु पर आने वाली धाराओं का योग वहाँ से जाने वाली धाराओं के योग के बराबर होता है।

यह नियम आवेश के संरक्षण को व्यक्त करता है।

द्वितीय नियम- किसी वैद्युत परिपथ में प्रत्येक बन्दपाश के विभिन्न भागों में प्रवाहित होने वाली धाराओं एवं संगत प्रतिरोधों के गुणनफलों का बीजगणितीय योग उस पाश में लगने वाले समस्त वि० वा० बलों के बीजगणितीय योग के बराबर होता है।

अर्थात् ∑iR = ∑Eइस नियम को लगाते समय धारा की दिशा में चलने पर धारा व

इसके संगत प्रतिरोध का गुणनफल धनात्मक लेते हैं

तथा सेल के वैद्युत-अपघट्य में ऋण इलेक्ट्रोड से धन इलेक्ट्रोड की ओर चलने पर वि० वा० बल धनात्मक लेते हैं।

चित्र में दिखाये गये वैद्युत परिपथ में दो बन्दपाश 1 व 2 हैं।

इस नियम के अनुसार बन्दपाश 1 के लिएi1R1 – i2R2 = E1 – E2 तथा

बन्दपाश 2 के लिए । i2R2 + i1 + i2 R3 = E2 इन समीकरणों को हल करके i1 व i2 के मान ज्ञात किये जा सकते हैं।

यह नियम ऊर्जा के संरक्षण को व्यक्त करता है।

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