Microprocessor and Chip (माइक्रोप्रोसेसर एवं चिप)

कई तकनीकों के संयोग से आधुनिक कम्‍प्‍यूटर बना हैं। इनमें किसी तकनीक ने प्रोग्रामिंग, किसी ने गणना, किसी ने छपाई तो किसी ने छोटे कम्‍प्‍यूटरों के निर्माण में अपना योगदान दिया हैं |

  1. कम्‍प्‍यूटर प्रोग्रामिंग एवं संचालन ज्‍यॉर्ज बूले द्वारा विकसित लॉजिकल एलजेब्रा के कारण संभव हो सका है। ब्रिटिश वैज्ञानिक क्‍लाइड शेनॉन ने रिले आधारित स्विचिंग सर्किट बनाकर सिद्ध किया कि ज्‍यॉर्ज बूले की परिकल्‍पना के आधार पर यंत्रो को स्‍वचालित रूप से दूर बैठकर भी चलाया जा सकता हैं।
  2. फ्लिप-फ्लॉप ट्रांजिस्‍टर सर्किट की सहायता से कम्‍प्‍यूटर के द्वारा स्‍वचालित गणनाएं की जाती हैं। सिलिकॉन जैसे अर्द्धचालकों के विकास के कारण कई हजार ट्रांजिस्‍टरों को नाखून के आकार की चिप पर बनाया संभव हो सका हैं और एक ही चिप में पूरा माइक्रोंप्रोसेसर बनाया जा चुका हैं।
  3. स्‍वचालित मशीनों के अद्भुत विकास के कारण बहुत तेजी से प्रिंट करने वाले प्रिंटरों को बनाया जा सका हैं। पिक्‍चर ट्यूब पर आधारित टेलीविजन जैसे वीडियो स्‍क्रीन के कारण कम्‍प्‍यूटर के अंदर होने वाली गणना को प्रत्‍यक्ष रूप से देखा जा सकता हैं।

रूस द्वारा मानव रहित रॉकेट के बनाये जाने के बाद मानव छोटे आकार वाले उपकरण बनाता चला गया। हर स्‍वचालित उपकरण में ट्रांजिस्‍टर व अन्‍य सेमी कंडक्‍टरों का उपयोग किया जाने लगा। इनके प्रयोग के कारण ऊर्जा की बचत होने लगी और इनसे निकलने वाली ऊष्‍मा में भी कमी आयी।


पहले सभी इलेक्‍ट्रॉनिक अवयव Wires से जोड़े जाते थे। बाद में, प्रिन्‍टेड सर्किट बोर्ड (PCBs) बनाये जाने लगे, जिससे लूज कनेक्‍शनों से बचाव संभव हो गया और सर्किट ज्‍यादा विश्‍वसनीय हो गये। प्रिन्‍टेड सर्किट बोर्ड के बाद माइक्रोचिप बनाये जाने लगे। अमेरिका के जे.एस.किल्‍वी ने 1958 में ऐसा सर्किट बनाया जिसमें ट्रांजिस्‍टारों सहित 26 इलेक्‍ट्रॉनिक अवयव बिना किसी वायर और सोल्‍डर ज्‍वाइन्‍ट लगाये गये थे। इस सर्किट को इंटीग्रेटेड सर्किट नाम दिया गया। I.C के बनाये जाने के साथ ही माइक्रो (मिनिएचराइजेशन) पद्धतियों में विकास होने लगा, जिसके फलस्‍वरूप 1974 में विश्‍व के पहले माइक्रो कम्‍प्‍यूटर आल्‍टेयर को बनाया गया। इसके बाद पूरी सेन्‍ट्रल प्रॉसेसिंग यूनिट एक ही चिप पर बन गई। इस चिप को माइक्रोप्रोसेसर नाम दिया गया।

चिप (Chip) का निर्माण

पृथ्‍वी में बहुतायत में पाया जाने वाला एक तत्‍व हैं सिलिकॉन (Silicon), जिसका चिप बनाने में प्रयोग किया जाता हैं सिलिकॉन के क्रिस्‍टलों को मिलाकर एक मीटर लंबी छड़ बना ली जाती हैं। इस छड़ से 15 से 50 mm व्‍यास और 2 मि.मी. लंबाई की हजारों चकतियां काट ली जाती हैं इन चकतियों से चिप बनाने के लिए निम्‍न चरणों से होकर गुजरना पड़ता हैं।

  1. सबसे पहले एक कम्‍प्‍यूटर की सहायता से एक माइक्रोप्रोसेसर सर्किट का डिजाइन बना लिया जाता हैं।
  2. 99.9999999% शुद्ध सिलिकॉन को शून्‍य दाब या निर्वात (Vacuum) नली में गलाकर उसके 1 मीटर लंबे क्रिस्‍टल (Crystal) बना लिये जाते हैं। चूकिं शुद्ध सिलिकॉन विद्युत का कुचालक (Bad Conductor) होता है इसलिए इसे अर्द्ध-चालक (Semi Conductor) बनाने के लिए बोरोन या एन्‍टीमनी के कुछ अणु डाल दिये जाते हैं। सिलिकॉन की इस छड़ से कुछ चकतियां (Chip) काट ली जाती हैं।
  3. चरण (1) मे बनाई सर्किट की ड्राइंग को फोटोग्राफिक विधि द्वारा चकती पर उतार कर एक तरफ की सर्किट बना ली जाती हैं। इस तरह बनाई गई दो तहों के बीच एक फोटो गैजेट्स (photo gadgets) तह लगा दी जाती हैं।
  4. यह सारा कार्य बहुत ही स्‍वच्‍छ (ultra clear) वातानुकूलित प्रयोगशाला में किया जाता हैं जिसके फिल्‍टर ऑपरेशन थिथेटर के फिल्‍टरों से भी 300 गुना अधिक सूक्ष्‍मता वाले हों।
  5. इन सिलिकॉन चकतियों को 1100 सेल्सियस ताप पर कुछ रसायनों के साथ विद्युत भट्टी में पकाया जाता हैं। ऊंचे ताप पर अशुद्धि वाले अवयव के अणु चिप पर उभरी हुई परिपथ लाइनों में चले जाते हैं और वह सर्किट लगभग अर्द्धचालक (Semi Conductor) वायर की तरह काम करने लगती हैं।
  6. चकतियों पर बनी हुई सर्किटो को माइक्रोस्‍कोपिक पद्धति से जांच की जाती हैं। इस जांच के दौरान 70% से ज्‍यादा चकतियां खराब मिलती हैं। बची हुई चकतियों मे से 250 से 500 तक चिपें लेजर या हीरे का आरी से काट ली जाती हैं।
  7. कटी हुई चिप को उसके ऊपर लगने वाले पॉकेटों में रखकर उसकी सर्किटों से बाहर जाने वाले वायरों को, जो कि बहुत मंहगी धातु के बने होते हैं उनके पायदान बनाकर उस रूप में लाया जाता हैं जिस रूप से ये बाजार में बिकती हैं। ये लगभग 8 से लेकर 32 पायदान वाली डायनिंग टेबल के आकृति की दिखती हैं। इस प्रकार, अति उच्‍च प्रौद्योगिकी का प्रयोग करके एक चिप बनायी जाती है जिसका आकार लगभग नाखून के बराबर होता हैं।

माइक्रोप्रोसेसर का इतिहास

हर कम्‍प्‍यूटर की रचना बहुत सारे माइक्रोप्रोसेसरों को मिलाकर होती हैं। माइक्रोप्रोसेसर चिप से कम्‍प्‍यूटर की मेमोरी, RAM, ROM, विजुअल डिस्‍प्‍ले यूनटि के कार्य के लिए सर्किट जोड़े जाते हैं। माइक्रो प्रोसेसर चिप इन्‍टीग्रटेड सर्किट का दूसरा नाम हैं, जिसमें एक ही चिप पर ट्रांजिस्‍टर, कैपेसिटर, रजिस्‍टर आदि लगे होते हैं। इसे अतिविशाल इन्‍टीग्रेटेड सर्किट (VLIS) भी कहते हैं।

इन्‍टेल कॉरपोरेशन के टेड हॉफ ने सबसे पहले एक चिप बनाई थी जिसमें पूरे परिपथ को एकीकृत करके उतारा गया था। विश्‍व के इस पहले माइक्रोप्रोसेसर क नाम INTEL 4004 था। इस चिप में लगभग 4000 ट्रांजिस्‍टर समाये हुए थे। इस चिप में कुछ और सुधार हुए और 8080 चिप बनी जो बाद में माइक्रो कम्‍प्‍यूटर (मिनिएचराइजेशन) युग की शुरूआत हुई। इस चिप का प्रयोग करने वाला पहला माइक्रो कम्‍प्‍यूटर आल्‍टेयर-8800 था। 1975 में इस चिप की कीमत केवल 3500 डॉलर थी।

इसी‍ चिप से मिलती-जुलती चिप जीलॉग ने बनाई जो Z-80 के नाम से जानी गई। सिन्‍क्‍लेयर ने इसी चिप पर आधारित माइक्रो कम्‍प्‍यूटर बनायें।

इन्‍टेल की चिप 8080 को थोड़ा सुधारकर पहले 8085 और बाद में 8086 चिपें बनाई गई जिनकी स्‍पीड 5 मेगाहर्ट्ज से 8 मेगाहर्ट्ज थी और जिनमें 16 बिट वाली डेटा बस और लगभग 29000 ट्रांजिस्‍टर बने हुए थें।

इसके बाद मोटरोला कंपनी ने अपनी चिप 6800 को सुधार कर 32 बिट की डेटा बस वाली 68000 चिप बनाई। इस चिप को एप्‍पल के मेकेन्‍तोश कम्‍प्‍यूटर मे लगाया गया। लगभग इतनी ही शक्तिशाली चिप 8088 बनाई गई जिसे आई.बी.एम. कम्‍पेटिबल (Compatible) कम्‍प्‍यूटर, जिन्‍हें PC और PC-XT कहा जाता हैं, में लगाया गया। इनकी स्‍पीड 4.77 से 8 मेगाहर्ट्स हैं।

8088 से लगभग दोगुनी स्‍पीड और ज्‍यादा मेमोरी वाली चिप 80286 बनाई बाद इन्‍टेल ने 80386 चिप बनाई और इसका उपयोग नये पर्सनल कम्‍प्‍यूटर श्रृंखला PS/2 में किया, जिसकी नकल अभी तक नहीं हो पाई हैं।

इन्‍टेल की 80486 और मोटरोला की 68040 चिपों में एक करोड़ अनुदेश प्रति सेकंड प्रतिपादित करने की क्षमता हैं चंडीगढ़ के एस.सी.एल. ने भारतीय विद्यालयोंके लिए बनाये जा रहे यूनीफार्म शैक्षणिक कम्‍प्‍यूटर के लिए मास्‍टेक की 6502 चिप बनाने का काम जारी किया हैं।

इन्‍टेल ने कुछ ही समय पहले पेन्टियम नामक चिप जारी की हैं जिसे प्रयोग करके आई.बी.एम ने अपने पावर पी.सी. कम्‍प्‍यूटर को जारी किया इस चिप की स्‍पीड 120 मेगाहर्ट्स हैं।

मोटरोला की चिपों का प्रयोग एप्‍पल श्रृंखला के कम्‍प्‍यूटरों में किया जाता हैं। अमेरिका की इन्‍टेल, एडवांस्‍ड माइक्रो डिवाइसेज और मोटरोला नामक तीन फर्में चिप बनाने में सबसे आगे हैं।

जीलॉग Z-80, Z-8000 प्रसिद्ध माइक्रोप्रोसेसर हैं जिन पर आधारित सिन्‍क्‍लेयर के ZX-80, ZX-81 और स्‍पेक्‍ट्रम नामक माइक्रो कम्‍प्‍यूटर सारे विश्‍व में प्रचलित हैं। ZX-81 सबसे ज्‍यादा बिकने वाला होम माइक्रो-कम्‍प्‍यूटर हैं।



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