जनन तंत्र Germic system

जनन तंत्र :-

जनन-जीवो द्वारा अपने वंश को बनाये रखने के लिए अपने समान संतान उत्पन्न करने की प्रक्रिया जनन कहलाती है |

मानव एक एकलिंगी प्राणी है | मानव में लैंगिक जनन पाया जाता है | नर युग्मक शुक्राणु कहलाते है तथा मादा युग्मक अंडाणु कहलाते है | शुक्राणु तथा अंडाणु के निषेचन से युग्मनज का निर्माण होता है | जो आगे चलकर नये जीव का निर्माण करते है |

Q. नर में द्वितीयक लैंगिक लक्षणों के लिए उत्तरदायी हार्मोन का नाम बताइए ?

उत्तर-टेस्टेस्टेरोन

Q. मादा में द्वितीयक लैंगिक लक्षणों के लिए उत्तरदायी हार्मोन का नाम बताइए ?

उत्तर-एस्ट्रोजन

नर जनन तंत्र – नर जनन अंगो को प्राथमिक व द्वितीयक अंगो में विभक्त किया गया है –



प्राथमिक लैंगिक अंग- ये अंग अत्यंत छोटे होते है | जो युग्मनो का निर्माण व हार्मोनो का स्त्रावण करते है | ये अंग जनद अंग कहलाते है | नर में जनद वृषण कहलाते है |  इन वृषण  का  कार्य शुक्राणुओ का निर्माण करना है |

द्वितीयक लैंगिक अंग – ये निम्नलिखित होते है –

(A)  वृषण  कोष-  वृषण  कोष  वृषण  को स्थिर रखने के लिए आवश्यक होते है |  वृषण  कोष ताप नियंत्रण के रूप में कार्य करता है |

(B) शुक्रवाहिनी – शुक्रवाहिनी द्वारा शुक्राणुओ को शुक्राशय तक पहुचाया जाता है |

(C) शुक्राशय-यह के थैलेनुमा संरचना होती है जिसमे शुक्राणुओ का संग्रहण होता है |शुक्राशय एक तरल पदार्थ का निर्माण करता है जिसे वीर्य ( सीमन ) कहते है | जो शुक्राणुओ को उर्जा प्रदान करती है |

(D) प्रोस्टेट ग्रन्थि- यह अखरोट के आकार की होती है जो तरल पदार्थ का निर्माण करती है | यह तरल पदार्थ शुक्राणुओ को गति प्रदान करता है |

(E) मूत्रमार्ग- इसमें से होकर मूत्र, शुक्राणु, प्रोस्टेट ग्रन्थि आदि बाहर निकलते है |

(F) शिश्न – यह एक बेलनाकार अंग होता है जो वृषण कोष के मध्य लटका रहता है | मैथुन के समय यह उत्तेजित अवस्था में होकर वीर्य को मादा जननांग में पहुचाने का कार्य करता है |



मादा जनन तंत्र – मादा जनन तंत्र को प्राथमिक व द्वितीयक लैंगिक जनन अंगो में विभक्त किया गया है –

(1) प्राथमिक लैंगिक अंग- ,मादाओ में प्राथमिक लैंगिक अंग के तौर पर एक जोड़ी अंडाशय पाए जाते है | अंडाशय के दो प्रमुख कार्य होते है – (2 ) मादा जनन कोशिका में अंडाणु का निर्माण करना | (2) अंत: स्त्रावी ग्रन्थि के तौर पर    एस्ट्रोजन तथा प्रोजेस्टेरो हार्मोन का निर्माण करना |

(2) द्वितीयक लैंगिक अंग- 

(A) अंडवाहिनी – यह के लम्बी नलिकाकार कुंडलित अंग है जो गर्भाशय के दोनों और स्थित होता है | अंडवाहिनी अंडाणुओ को अंडाशय से गर्भाशय तक पहुचाने का कार्य करती है |

(B) गर्भाशय- गर्भाशय एक मांसल अंग है | जहा दोनों अंडवाहिका एक थैलेनुमा संरंचना का निर्माण करती है | गर्भाशय का उपरी शिरा चोडा होता है व निचला भाग संकरा होता है | गर्भाशय का निचला भाग योनी में जाकर खुलता है |

(C) योनी– यह मूत्राशय व मलाशय में बीच स्थित 8 से 10cm लम्बी एक नली होती है जो स्त्रियों मैथुन कक्ष के तौर पर कार्य करती है | यह अंग स्त्रियों में रजोधर्म स्त्राव तथा प्रसव के मार्ग में तौर पर कार्य करता है |




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