राजस्थान के प्रसिद्ध ऐतिहासिक युद्ध

वैहन्द का युद्ध – 1008 ई. में पंजाब के शाही वंश के राजा आनंदपाल एवं महमूद गजनवी के मध्य हुए इस युद्ध में दुर्भाग्यवश आनंदपाल की विजय हो गई | इस युद्ध में सांभर के चौहानों ने आनंदपाल के साथ दिया था |

अजमेर का युद्ध – 1135 ई. में अजमेर के चौहान शासक अर्णोंराज ( आनाजी ) ने तुर्कों को पराजित किया |

आबू का युद्ध – 1178 ई. में हुए एक युद्ध में गुजरात के शासक मूलराज द्वितीय ने मोहम्म्द गौरी को पराजित किया |

तराइन का प्रथम युद्ध – 1191 ई. में हुए इस युद्ध में पृथ्वीराज चौहान तृतीय ने मोहम्म्द गौरी को पराजित किया |

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 राजस्थान के प्रसिद्ध ऐतिहासिक युद्ध




तराइन का द्वितीय युद्ध – 1192 ई. में हुए इस युद्ध में मोहम्म्द गौरी ने पृथ्वीराज चौहान-111 को पराजित  किया |

नागदा का युद्ध – 1234 ई. में मेवाड़ के इस युद्ध में महाराणा जैत्र सिंह ने दील्ली सल्तनत के सुल्तान इल्तुतमिश को पराजित किया |

रणथम्भौर का  युद्ध – 1301 ई. में अलाउद्दीन खिलजी ने रणथम्भौर पर आक्रमण किया जिसमे रणमल एवं रतिपाल की गद्दारी के कारण हम्मीर देव चौहान की वीरगति हुई एवं महारानी रंग्देवी ने जल जौहर किया था |

चित्तौडगड युद्ध – 1303 ई. में अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौडगड पर आक्रमण किया | जिसमे महाराणा रतन सिंह सहित सभी राजपूत वीर वीरगति को प्राप्त हुए एवं पद्मिनी के नेतृत्व में राजपूत वीरांगनाओ ने जौहर किया |

सिवाना का युद्ध – 1308 ई. में अलाउद्दीन खिलजी ने सिवाना पर आक्रमण किया | 1309  ई. में परमार शीतल देव के नेतृत्व में लड़ते हुए सभी वीर गति को प्राप्त हुए |

जालौर का युद्ध – 1309-1311 ई. में अलाउद्दीन खिलजी ने जालौर पर आक्रमण किया | ‘ कान्हड़देव प्रबन्द के अनुसार लम्बे समय तक चले इस युद्ध में कान्हड़देव चौहान सहित राजपूत वीरो को वीरगति व रानियो ने जौहर किया |

सारंगपुर का युद्ध – 1437 ई. में मेवाड़ के महाराणा कुंभा एवं मालवा ( मांडू ) के शासक महमूद खिलजी के मध्य हुआ जिसमें महाराणा कुम्भा की विजय हुई |

कोसाणा का युद्ध – 1492 ई. में मारवाड़ के सातलदेव एवं अजमेर के सूबेदार मल्लू खां के मध्य हुआ | जिस्म कल्लू खां पराजित हुआ तथा मारा गया |

खातौली का युद्ध – 1517 ई. में हुए इस युद्ध में मेवाड़ के महाराणा सांगा ने इब्राहिम को पराजित किया था |

बाड़ी का युद्ध – 1519 ई. में महाराणा सांगा ने दिल्ली सुल्तान इब्राहिम लोदी को पराजित किया था |



गागरोन का युद्ध – 1518 ई. में हुए इस युद्ध में मेवाड़ के महाराणा सांगा ने मालवा के शासक महमूद खिलजी-11 को पराजित कर बंदी बनाया |

बयाना का युद्ध – 1527 ई. में हुए इस युद्ध में महाराणा सांगा ने मुगलों को पराजित किया तथा बयाना पर अपना अधिकार कर लिया |

खानवा का युद्ध – मार्च , 1527 में हुए इस युद्ध में मेवाड़ के महाराणा सांगा को पराजित कर मुगल बाबर ने गाजि की उपाधि धारण की थी

पहोबा का युद्ध – 1541 ई. में हुए इस युद्ध में मारवाड़ के राव मालदेव ने बीकानेर के महाराजा राव जैतसी को पराजित किया |

गिरी सुमेल का युद्ध – 1544 ई. जैतारण के निकट हुए इस युद्ध में शेरशाह शुरी ने सूरी का राव मालदेव के सेनानायक जैता व कुंपा को पराजित करके था ‘मै एक मुट्ठी भर बाजरे के लिए हिन्दुतान की बादशाहत खो देता |

चित्तौडगड का युद्ध –  1567-68 ई. में मुगल बादशाह अकबर ने आक्रमण किया जिसमें महाराणा उदयसिंह के सेनानायक जयमल व फत्ता लड़ते हुए वीर गति को प्राप्त हुए | एवं राजपूत रानियों ने जौहर किया |

हल्दीघाटी का युद्ध – जून , 1576 ई. में मुगल सेनानायक आसफ खां, मानसिंह एवं मेवाड़ के महाराणा प्रताप के मध्य हुए इस युद्ध में किसी पक्ष की निर्णायक विजय नहीं हुई थी |

दिवेर का युद्ध – मेवाड़ के महाराणा अमर सिह व मुगल शहजादा खुर्रम के मध्य हुआ | इस युद्ध को कर्नल जैम्स टाँड ने मेवाड़ का मेराथन ‘ कहा था | ( नोट- कुछ संदर्भ पुस्तको में यह युद्ध 1582 ई. में महाराणा प्रताप एवं मुगल सूबेदार के मध्य होना बताया गया है  )

मतीरे की राड – 1644 ई. में यह बीकानेर के महाराजा कर्ण सिंह एवं नागौर के शासक अमर सिंह के मध्य हुआ था |

बहादुर गड का युद्ध – 1658 ई. हुए इस युद्ध में मिर्जा राजा जयसिंह एवं सुलेमान निकोह के नेतृत्व में शाही सेना ने शाहशुजा को पराजित किया |

धरमत का युद्ध – अप्रेल 1658 ई. में दारा शिकोह की सेना महाराजा जसवंत सिंह के नेतृत्व में औरंगजेब की सेना को पराजित हुई थी |

सामुगड़ का युद्ध – जून 1658 वव. में दारा निकोह की सेना औरंगजेब की सेना से पपराजित हुई | इसी युद्ध में बूंदी के राव शत्रुशाल सिंह लड़ते हुए वीर गति को प्राप्त हुए |

खजुवाहा का युद्ध – जनवरी 1659 ई. में शाहशुजा व औरंगजेब के मध्य हुआ जिसमे शाहशुजा की पराजय हुई |

दौराई का युद्ध – मार्च 1659 ई. में अजमेर के निकट हुए इस युद्ध में औरंगजेब द्वारा शिकोह को पराजित किया गया |

पिलसूद का युद्ध – 1715 ई. में हुए इस युद्ध में जयपुर के महाराजा ने सवाई मानसिंह को पराजित किया |

मंदसौर का युद्ध – 1733 ई. में हुए इस युद्ध में मराठो ने सवाई जयसिंह को पराजित किया था |

राजमहल का युद्ध – 1747 ई. टोंक जिले के राजमहल के मैदान में हुए इस युद्ध में महाराजा इश्वर सिंह ने माधो सिंह की मेवाड़ एवं कोटा की संयुक्त सेना को पराजित किया |

बगरू का युद्ध –  1748 ई. में ईश्वरसिंह को माधोसिंह ने मराठा , मेवाड़ व मारवाड़ की सहायता से पराजित किया |

पिपाड का युद्ध – 1750 ई. में बख्त सिंह व रामसिंह के मध्य हुआ | इसमें रामसिंह की विजय हुई | इस युद्ध में रामसिंह की सहायता जयपुर के महाराजा ईश्वरी ने की थी तथा बख्त सिंह की सहायता मीरबख्सी सलावत खां ने की थी |

गांगरडा का युद्ध – 1754 ई. हुए इस युद्ध में जोधपुर के महाराजा विजय सिंह बीकानेर महाराजा गजसिंह व किशनगड महाराजा बहादुर सिंह संयुक्त सेना को मराठा सेनानायक जयअप्पा ने पराजित किया था |



कांकोड का युद्ध – 1759 ई. यह युद्ध रणथम्भौर दुर्ग पर अधिकार को लेकर जयपुर महाराजा सवाई मानसिंह एवं मराठा होल्कर के मध्य हुआ जिसमे माधोसिंह की विजय हुई |

भटवाडा का युद्ध – 1761 ई. में हुए इस युद्ध में कोटा के सेनानायक जालिम सिंह झाला ने जयपुर के सवाई माधोसिंह को पराजित किया था |

तुंगा का युद्ध – 1787 ई. में हुए इस युद्ध में सवाई प्रताप सिंह तथा जोधपुर महाराजा विजय सिंह की संयुक्त सेना ने मराठा सरदार सिंधिया की सेना को पराजित किया |

हडक्याखाल का युद्ध – इस युद्ध में मराठो ने सिसोदिया को पराजित किया था |

लक्ष्मणगड का युद्ध – 1778 ई. में यह युद्ध अलवर के महाराजा सवाई प्रताप सिंह एवं मिर्जा नजफखां में मध्य हुआ |

पातण का युद्ध – 1790 में मराठा सरदार सिन्धिया ने जोधपुर व जयपुर की संयुक्त सेना को पराजित किया था |

लासवाड़ी का युद्ध – 1803 ई. में अलवर के निकट हुए इस युद्ध ब्रिटिश सेनानायक जनरल लेक ने मराठो को पराजित किया था |

गीगोली को युद्ध – 1807 ई. में जयपुर व जोधपुर की सेना में मध्य परबतसर के पास हुए इस युद्ध में जोधपुर की पराजय हुई थी |

मंगरोल का युद्ध –1821 ई. में हुए इस युद्ध में कर्नल टाँड व जालिम सिंह की सेना ने कोटा महारावल किशोर सिंह को पराजित किया था |

बासमणी का युद्ध – बीकानेर व जैसलमेर राज्य की सेनाओ के बीच यह युद्ध हुआ |

बिठोडा का युद्ध – 1857 ई को हुए इस युद्ध में क्रांतिकारियों ने ठाकुर कुशाल सिंह के नेतृत्व में कौप्टन हीथकोट को पराजित किया |



आउवा का युद्ध – 1857 ई. को हुए इस युद्ध में ठा. कुशाल सिंह ने अंग्रेज व जोधपुर की संयुक्त सेना को पराजित किया |

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