राजस्थान के प्रसिद्ध महल
हवामहल-
जयपुर में स्थित इस महल का निर्माण सवाई प्रताप सिंह ने 1799 ई. में करवाया गया है | इसके सामने का भाग पिरामिडिय आकृति की चौड़ी पांच मंजिली दीवार के रूप में है | पश्चिम से जाने के लिए आनंद पोल आता है | पहले चौक से दुसरे चौक पर जाने के लिए चन्द्रपोल दरवाजा आता है | हवामहल के पांच मंजिलो के नाम – शरद मंदिर , रतन मंदिर , विचित्र मंदिर , प्रकाश मंदिर तथा हवा मंदिर आदि आते है |वर्तमान में यह संरक्षित स्मारक है |
जयनिवास
जयपुर के त्रिपोलिया गेट राजप्रासाद का निर्माण महाराजा जयसिंह द्वारा कराया गया था | जयपुर के मध्य स्थित इस राजप्रासाद में प्रवेश बंदरवाल दरवाजा जिसे कपाट कोटका भी कहते है , से होता है | यहाँ से दुन्दुभी पोल अथवा नक्कार खाना जिसका निर्माण माधोसिंह प्रथम ने करवाया था , होता हुवा जलेब चौक जाता है |
मुबारक महल –
जयपुर के मध्य जय निवास के पास मुबारख महल का निर्माण माधोसिंह द्वितीय ने करवाया था | अतिथियों के ठहरने के लिए विशेष रूप से इसका निर्माण किया गया | महल के चौक के उत्तर-पूर्व कोने पर रामसिंह द्वितीय द्वारा बनवाया गया घंटा घर है | महला के दक्षिण में पुरबिया ढयोड़ी दरवाजा तथा दक्षिण में गैंडा ड्योडी दरवाजा है |
चन्द्र महल –
जयपुर के वास्तुकार विधाधर द्वारा ही सात मंजिले चन्द्रमहल का निर्माण करवाया गया | महल की साज सज्जा मानसिंह द्वितीय ने जर्मन कालाकार ए. एच. मुलर से करवाई | चन्द्रमहल की दूसरी मजिल को सुख निवास भी कहते है | सवाई जयसिंह की रानी सुख कँवर के नाम पर इसका नाम रखा गया | महल की तीसरी मंजिल को रंग मंदिर नाम रखा गया है | चौथी मंजिल सोभा निवास , पांचवी मंजिल छवि निवास , छटी मंजिल श्रीनिवास तथा सातवी मंजिल को मुकुट मंदिर कहा जाता है |
चन्द्र महल के पास ही प्रीरम निवास तथा माधो निवास नामक सुंदर महल है | चन्द्र महल के पास जयनिवास नाम का उधान भी बना हुआ है |
बादल महल –
जयपुर नगर निर्माण से पहले तालककोटा के किनारे शिकार की ओदी को मिर्जा राजा जयसिंह ने बादल महल के नाम से बनवाया | यह अपनी भव्यता के लिए प्रशिद्ध है |
आमेर महल –
आमेर दुर्ग में स्थित इस महल की विशेषता 40 स्तम्भों का दीवाने-आम है जिसमे से 16 सफेद पत्थर तथा 24 लाल पत्थर के है |दीवान-ए-आम का निर्माण मिर्जा राजा जयसिंह ने करवाया था | इस महल का दरवाजा गणेश पोल स्थापत्य एवं चित्रकला के लिए विश्व में प्रशिद्ध है |
एक जैसे नौ महल –
नाहरगड दुर्ग में स्थित इन महलो का निर्माण महाराजा माधोसिंह द्वितीय ने अपने नौ पासवानो के नाम पर करवाया था – सूरजप्रकाश , खुशहाल प्रकाश , जवाहर प्रकाश , चन्द्र प्रकाश , रत्न प्रकाश तथा बंसत प्रकाश इन नौ महलों के नाम है |
सामोद महल –
जयपुर जिले में चोमू के निकट सामोद पैलेस है | इसमें स्थित शीशमहल तथा सुल्तान महल में श्रृंगार चित्रकला के श्रेष्ठ अंकन हुआ है |
अलवर पैलेस ( सिटी पैलेस )
अलवर के माहाराजा विनय सिंह द्वारा इसका निर्माण करवाया गया है |
हवा बंगला –
अलवर जिले के तिजारा की पहाड़ी पर स्थित इस महल का निर्माणमहाराजा बख्तावर सिंह एवं विनय सिंह के काल में हुआ था
डीग के महल –
भरतपुर जिले के डीग में स्थित यह महल स्थापत कला के लिए प्रसिद्ध है कठोर बलुआ पत्थरों से बने इस महल का निर्माण महाराजा सूरजमल ने करवाया था | यहाँ के महल चतुष्कोणीय आकृति कानिर्माण करते है इसमें गोपाल भवन सबसे बड़ा भवन है | इसके दोनों तरफ सावन व बादो भवन बने हुए है| यहा महाराजा बदनसिंह द्वारा बनवाया गया पुराना महल भी है |
मेहरानगड दुर्ग के महल –
मोती महल , फुल महल , फतेह महल , खबका महल , तखत महल , रंग महल , बिचला महल , जनाना महल , दौलत महल और चाकेलाव महल |
मोती महल का निर्माण महाराजा सुरसिंह ने , फुल महल का निर्माण अजीत सिंह ने करवाया |
खबका महल का मूल नाम ख़्वाबगाह है
तलहटी के महल –
महाराजा सिंह ने जोधपुर में मेहरानगड दुर्ग की तलहटी में महल का निर्माण करवाया था सुरसिंह ने इस महल का निर्माण अपनी रानी सौभाग्य देवी के लिए करवाया था |
सूरसागर के महल
जोधपुर से लगभग ढाई से तीन किमी. दूर सूरसागर तालाब के तट पर महाराजा सुरसिंह द्वारा बनवाए गए दो महल जनाना तथा मर्दाना महल स्थित है |
बीजोलाई के महल
जोधपुर की कायलाना की पहाडियों में स्थित इन महलो का निर्माण महाराजा तख्तसिंह के द्वारा करवाया गया था महाराज विजय सिंह के समय से यह महल बीजोलाई कहलाये |
राइका बाग़ पैलेस
जोधपुर में स्थित इस महल का निर्माण महाराजा जसवंत सिंह की हाडी रानी द्वारा करवाया था | स्वामी विवेकानंद ने इसी महल में पाने उपदेश देये |
उम्मेद महल
जोधपुर के छीतरपैलेस के नाम से प्रसिद्ध इस महल का निर्माण महाराजा उम्मेद सिंह के द्वारा करवाया गया था | अकाल राहत कार्यो केतु इसका निर्माण करवाया गया था | यह सबसे सुन्दर व वैभवशाली महल माना जाता है |
एक थम्बा महल
जोधपुर के मण्डोर के निकट इस महल का निर्माण महाराजा अजीतसिंह के शासन काल में हुआ था | अष्ट पहलु के एक थम्बा पर बना यह महल पत्थरों के जोड़ का अदभुत नमूना है |
बादल निवास
जैसलमेर के सोनारगढ़ के पश्चिम प्रवेश द्वार के पास स्थित इस महला कानिर्माण 1884 में सिलावटो द्वारा किया गया था जो महारावल वैरिशाल सिंह को भेट में दिया गया था | पांच मंजिला में से चार वर्गाकार तथा पांचवी मंजिल गुम्बदाकार है |
स्वरूप निवास एवं केशर विलास
सिरोही में स्थित इन महलो का निर्माण क्रमशः महाराजा रूपसिंह तथा महाराव केसरी सिंह ने करवाया था |
लालगड महल
बीकानेर में स्थित इस महल का निर्माण महाराजा गंगा सिंह ने अपने पिता महाराजा लास सिंह की स्मृति में करवाया था |
राजपुताना म्यूजियम
अजमेर में स्थति इससंग्रहालय में गुप्त का के मध्य तक की अनुपम सामग्री रखी है | 1908 ई. में भारत सरकार ने इसे राजपुताना म्यूजियम बनाया था |
सोनी जी की नासियाँ
अजमेर स्थित दो भागो में बना मूलतः लाल मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है | सेठ मूलचंद सोनी द्वारा इसका शिलान्यास किया गया था | मुख्य मंदिर के पीछे अयोध्या नगरी नामक भवन है |
राजमहल
टोंक जिले के देवली के पास यह महल बनास नदी के किनारे बना है | इसके पास ही बनास व खारी नदियों कासंगम होता है |
बनेडा महल
भीलवाडा जिले में बनेडा दुर्ग में स्थित सरदार बिनास महल का निर्माण राजा सरदार सिंह ने 1792 ई. के आसपास बनवाया था |
महाराज कुमार के महल
उदयपुर जिले के राजसमन्द झील के किनारे इन महलों का निर्माण महाराजा फतेहसिंह ने करवाया था |
जगनिवास
पिछोला झील के टापू पर बना यह एक सुंदर महल है |
जग मंदिर
यह भी पिछोलाझील के टापू पर बना भव्य मदिर है ||
फतेह प्रकाश महल
चित्तौडगड दुर्ग में स्थित इस महल में वर्तनाम में दुर्ग संग्रहालय स्थित है |
पद्मिनी महल
चितौड़गढ़ महल के दुर्ग में स्थित इस महल का निर्माण महाराणा रतन सिंह ने करवाया था |
गोरा बाड़ल के महल
चित्तौड़गढ़ के दुर्ग में स्थित इस महल का निर्माण राणा रतन सिंह ने करवाया था |
एक थाम्बिया महल
डूंगरपुर के गोवसागर के पास उदयविलास राजप्रसाद में स्थित इस महल का निर्माण महारावल शिवसिंह ने राजमाता ज्ञान कुंवर के स्मृति में करवाया था
झाली रानी का मालिया महल
कुम्भलगढ़ , राजसमंद दुर्ग में स्थित इस महल का निर्माण महाराणा कुम्भा के द्वारा 1458 ई. में करवाया गया था |
गुलाब महल
कोटा दुर्ग में स्थित इस महल का निर्माण राव जैतसिंह हाडा के द्वारा करवाया गया था |
चात्रविलास का जगमंदिर
कोटा के छात्रविलास मंदिर के पास तालाब के मध्य स्थित इस महल का निर्माण महाराव दुर्जनशाल ने 18वीं शताब्दी में मध्य में अपनी सीसोदनी रानी बृजकँवर के लिए करवाया गया था |
कोटा का हवा महल
कोटा दुर्ग में स्थित इस महल का निर्माण रामसिंह द्वितीय द्वारा करवाया गया था | जयपुर के हवामहल की तुलना में यह अधिक सुंदर तो नहीं लेकिन हिन्दू स्थापत्य कला का अनुपन उदहारण है |
अबला मीणी / अबला मीणी का महल
कोटा के रावमुकुन्द द्वारा मुकुंदरा की पहाड़ियों के शिखर पर इस महल का निर्माण हुआ |
करौली के राजमहल
करौली नगर में स्थित यहाँ के राजमहल का निर्माण क्रमिक रूप से हुआ है |
काष्ठ-प्राषाद ( महल )
झालावाड के राजराजा गजेन्द्र सिंह जी ने लकड़ी के इस महल का निर्माण करवाया था | यह भवन कृष्ण सागर झील के किनारे स्थित है |
दुर्ग महल
बूंदी के दुर्ग में स्थित यह महल स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना है |
सुख महल
बूंदी में जैतसागर के किनारे इस महल का निर्माण 1773 ई. के लगभग महाराणा विष्णु सिंह के करवाया था |
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