राजस्थान में कृषि से संबंधित योजनाऐं Agriculture related schemes
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1.भागीरथ योजना
कृषि संबंधित इस योजना के अन्तर्गत स्वयं ही खेती में ऐसे लक्ष्य निर्धारित करता है। जो कठिन होता हैं और उन लक्ष्यों को प्राप्त करने में प्रयत्न भी करते है। इसके लिए जयपुर में विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है।
2.निर्मल ग्राम योजना
गांवो में कचरे का उपयोग कर कम्पोस खाद तैयार करने हेतु शुरू की गई।
राजस्थान की मंडिया
जीरा मंडी | मेडता सिटी (नागौर) |
सतरा मंडी | भवानी मंडी (झालावाड) |
कीन्नू व माल्टा मंडी | गंगानगर |
प्याज मंडी | अलवर |
अमरूद मंडी | सवाई माधोपुर |
ईसबगोल (घोडाजीरा) मंडी | भीनमाल (जालौर) |
मूंगफली मंडी | बीकानेर |
धनिया मंडी | रामगंज (कोटा) |
फूल मंडी | अजमेर |
मेहंदी मंडी | सोजत (पाली) |
लहसून मंडी | छीपा बाडौद (बांरा) |
अखगंधा मंडी | झालरापाटन (झालावाड) |
टमाटर मंडी | बस्सी (जयपुर) |
मिर्च मंडी | टोंक |
मटर (बसेडी) | बसेड़ी (जयपुर) |
टिण्डा मंडी | शाहपुरा (जयपुर) |
सोनामुखी मंडी | सोजत (पाली) |
आंवला मंडी | चोमू (जयपुर) |
राजस्थान में प्रथम निजी क्षेत्र की कृषि मण्डी कैथून (कोटा) में आस्टेªलिया की ए.डब्लू.पी. कंपनी द्वारा स्थापित की गई है।
राजस्थान में सर्वाधिक गुलाब का उत्पादन पुष्कर (अजमेर) में होता है। वहां का ROSE INDIA गुलाब अत्यधिक प्रसिद्ध है। राजस्थान मे चेती या दशमक गुलाब की खेती खमनौगर (राजसमंद) में होती है।
रतनजोत- | सिरोही, उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाडा |
अफीम | चित्तौडगढ़, कोटा, झालावाड |
सोयाबीन | झालावाड़, कोटा, बांरा |
हरित क्रांति
नारमन. ए. बोरलोग नामक कृषि वैज्ञानिक ने शुरू की 1966 में भारत में इसकी शुरूआत एम.एस. स्वामीनाथन ने की।
श्वेत क्रांति
भारत में इसकी शुरूआत वर्गीज कुरियन द्वारा 1970 में की गई। इस क्रांति को “आॅपरेशन फ्लड” भी कहते है। डाॅ वर्गीज कुरियन अमूल डेयरी के संस्थापक भी है। जिसका मुख्यालय गुजरात को आनंद जिला है।
राज्य में संविदा खेती 11 जून 2004 में प्रारम्भ हुई
जालौर -समग्र मादक पदार्थो उत्पादन की दृष्टि से प्रथम स्थान पर है।
कृषि के प्रकार
- शुष्क कृषि
- सिचित कृषि
- मिश्रित कृषि
- मिश्रित खेती
1.शुष्क कृषि
ऐसी कृषि जो रेगिस्तानी भागों में जहां सिचाई का अभाव हो शुष्क कृषि की जाती है। इसमें भूमि मेे नमी का संरक्षण किया जात है।
(अ) फ्वारा पद्धति
(ब) ड्रिप सिस्टम
इजराइल के सहयोग से। शुष्क कृषि में इसका उपयोग किया जाता है।
2.सिचित कृषि
जहां सिचाई के साधन पूर्णतया उपलब्ध है। उन फसलों को बोया जाता है जिन्हें पानी की अधिक आवश्यकता होती है।
3.मिश्रित कृषि
जब कृषि के साथ-साथ पशुपालन भी किया जाता है तो उसे मिश्रित कृषि कहा जाता है।
4.मिश्रित खेती
जब दो या दो से अधिक फसले एक साथ बोई जाये तो उसे मिश्रित खेती कहते है।
5.झूमिग कृषि
इस प्रकार की कृषि में वृक्षों को जलाकर उसकी राख को खाद के रूप में प्रयोग किया जाता है। राजस्थान में इस प्रकार की खेती को वालरा कहा जाता है। भील जनजाति द्वारा पहाडी क्षेत्रों में इसे “चिमाता” व मैदानी में “दजिया” कहा जाता है। इस प्रकार की खेती से पर्यावरण को अत्यधिक नुकसान पहुंचता है। राजस्थान में उदयपुर, डूंगरपुर, बांरा में वालरा कृषि की जाती है।
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