बीकानेर राजस्थान में प्लास्टर ऑफ पेरिस के निर्माण का सबसे बड़ा केन्द्र है |
बीकानेर जिला कूलर उद्योग के निर्माण हेतु प्रसिद्ध है |
राज्य में सर्वप्रथम फव्वारा पद्दति की शुरुआत भी लूँणकरणसर तहसील से ही मानी जाती है |
बीकानेर शहर ‘पाटा संस्कृति’ के लिए प्रसिद्ध है |
बीकानेरी बोली में अध्धो, पुणो, झांप, टिक्लिया आदि नाम के आकार के सूचक है जबकि रंगों और स्वरूपों की पहचान के लिए कोयल, फरियल, आखला, पकड़ो, टीकल, पुछड, आदि नाम प्रचलित है |
26 जनवरी 1946 26 जनवरी 1946 को राज्य में स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है |
अप्रेल 1947 में केंद्रीय संविधान सभा में राजस्थान की और से सम्मिलित होने वाला बीकानेर प्रथम राज्य है |
अलख सागर – बीकानेर सा सबसे बड़ा कुआं माना जाता है |
पलाना – यहाँ लिग्नाईट कोयले का सर्वाधिक उत्पादन होता है
विसरासर –यहाँ भारत की सबसे बड़ी जिप्सम कम्पनी स्थित है
धोराँ रो धोरी ( टिब्बो का समीहा ) – राजस्थानी कथाकार श्री नथमल जोशीका लिखित यह उपन्यास लुईस पियो तेस्सितोरी की जीवनी पर आधारित है |
बीरदार – देशनोक स्थित करणीमाता मंदिर का पुजारी
सुंधा – बीकानेर में पायी जाने वाली यह जाति जमीन सूंघकर यह बता देती थी की जमीन में खारा पानी है यह मीठा |
धूंआ भाछ –गृह कर, बीकानेर में वसूल किया जाता था |
भुजिया –महराना डूंगरसिंह के शासन काल में बीकानेर में भुजिया बनानेकी शुरुआत हुई |