कारक की परिभाषा परिभाषा- संज्ञा ( या सर्वनाम ) के जिस रूप से उसका संबंध वाक्य के किसी दूसरे शब्द के साथ अभिव्यक्त होता है, उस रूप को कारक कहते हैं। जैसे-भगवान राम ने खारे जल के समुद्र पर बंदरों से पुल बँधवा दिया है । इस वाक्य में ‘भगवान […]
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वचन की परिभाषा परिभाषा – संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण तथा क्रिया के जिस रूप से संख्या का बोध होता है, उसे वचन कहते हैं। व्याकरण में “वचन’ संख्या का बोध कराता है। लडकी गाती है । लड़कियाँ गाती हैं । पहले वाक्य से यह स्पष्ट होता है कि कोई एक लडकी […]
लिंग की परिभाषा शब्द के जिस रूप से पुरुष जाति अथवा स्त्री जाति का बोध हो, उसे ‘लिंग’ कहते हैं। लिंग का अर्थ है-‘चिह्न’। अतः जिस चिह्न के द्वारा शब्द के स्त्री जाति या पुरुष जाति के होने का बोध हो, उसे ही लिंग कहते हैं। लड़का पढ़ रहा है। […]
अविकारी शब्द ऐसे शब्द जिन पर लिंग, वचन एवं कारक का कोई प्रभाव नहीं पड़ता तथा लिंग, वचन एवं कारक बदलने पर भी ये ज्यों-के-त्यों बने रहते हैं, ऐसे शब्दों को अव्यय या अविकारी शब्द कहते हैं। अव्यय शब्दों उदाहरण -जब, तब, अभी, वहाँ, उधर, यहाँ, इधर, कब, क्यों, आह, […]
वाच्य वाच्य क्रिया का वह रूप है, जिससे यह ज्ञात होता है कि वाक्य में कर्ता प्रधान है या कर्म अथवा भाव। क्रिया के लिंग एवं वचन उसी के अनुरूप होते हैं। खंड (अ) खंड (ब) (क) राम विद्यालय जाता है। (क) राम द्वारा विद्यालय जाया जाता है। (ख) गरिमा […]
क्रिया विशेषण जिस शब्द से क्रिया की विशेषता का ज्ञान होता है, उसे क्रियाविशेषण कहते हैं। जैसे-यहाँ, वहाँ, अब, तक, जल्दी, अभी, धीरे, बहुत, इत्यादि । क्रियाविशेषणों का वर्गीकरण तीन आधारों पर किया जाता है- (1) प्रयोग (2) रूप (3) अर्थ क्रियाविशेषण (1) प्रयोग (2) रूप (3) अर्थ (क) साधारण […]