(11) निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत बिन्दुओं के आधार पर लगभग 200 से 250 शब्दों में निबंध लिखिए-
(क) परिश्रम और अभ्यास – सफलता की कुंजी
परिश्रम सफलता की कुंजी हैं।
जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफलता के लिए आलस्य और भाग्यवादिता का दामन छुड़ा कठिन परिश्रम करना ही एकमात्र मार्ग होता है। जीवन में सुख प्राप्त करना हर मनुष्य की आकांक्षा होती है। लेकिन, अलादीन का चिराग सबके हाथों में नहीं होता कि चिराग जलाते ही सारी मनः कामनाएँ पूर्ण हो जाएँ। केवल परिश्रम जी जीवन-संघर्ष में सफलता ला सकता है। मानव का इतिहास साक्षी है कि अपने पुरुषार्थ पर भरोसा रखनेवाले लोग ही रेगिस्तानों में झील बना सके हैं, धरती की छाती चीरकर मनोवांछित फल प्राप्त कर सके हैं। वस्तुतः, अपने अदम्य साहस, कौशल और सच्ची लगन के सहारे ही परिश्रमी व्यक्ति जीवन के रेतीले मैदानों को पार करता है। कोयले को हीरे में बदल डालने की कला जादू से नहीं उत्पन्न हो सकती, परिश्रम करनेवाले ही मिट्टी को सोना बना डालते हैं। पुरुषार्थी के लिए कुछ भी असंभव नहीं। अपने परिश्रम के सहारे मनुष्य सफलता के हर शिखर का स्पर्श कर सकता है। कठिन परिश्रम और दृढ़ पुरुषार्थ ही जीवन में सफलता के मूलमंत्र हैं।
(i)प्रस्तावना- परिश्रम के अभाव में जीवन की गाड़ी नहीं चल ही सकती। यहां तक कि स्वयं का उठना-बैठना, खाना-पीना भी संभव नहीं हो सकता फिर उन्नति और विकास की कल्पना भी नहीं की जा सकती। आज संसार में जो राष्ट्र सर्वाधिक उन्नत हैं, वे परिश्रम के बल पर ही इस उन्नत दशा को प्राप्त हुए हैं। जिस देश के लोग परिश्रमहीन एवं साहसहीन होंगे, वह प्रगति नहीं कर सकता। परिश्रमी मिट्टी से सोना बना लेते हैं।
(ii) परिश्रम का महत्त्व- सफलता प्राप्त करने के लिए परिश्रम आवश्यक है। बिना परिश्रम के कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता। मेहनत कर विशेष रूप से मन लगाकर किया जाने वाला मानसिक या शारीरिक श्रम परिश्रम कहलाता है। सृष्टि की रचना से लेकर आज की विकसित सभ्यता मानव परिश्रम का ही परिणाम है। जीवन रूपी दौड़ में परिश्रम करने वाला ही विजयी रहता है। इसी तरह शिक्षा क्षेत्र में परिश्रम करने वाला ही पास होता है। उद्यमी तथा व्यापारी की उन्नति भी परिश्रम में ही निहित है।
मानव जीवन में समस्याओं का अम्बार हैं। जिन्हें वह अपने परिश्रम रूपी हथियार से दिन-प्रतिदिन दूर करता रहता है। कोई भी समस्या आने पर जो लोग परिश्रमी होते हैं वे उसे अपने परिश्रम से सुलझा लेते हैं और जो लोग परिश्रमी नहीं होते वह यह सोचकर हाथ पर हाथ रखे बैठे रहते हैं कि समस्या अपने आप सुलझ जायेगी। ऐसी सोच रखने वाले लोग जीवन में कभी सफल नहीं हो पाते। परिश्रमी व्यक्ति को सफलता मिलने में हो सकता है देर अवश्य लगे लेकिन सफलता उसे जरूर मिलती है। यही कारण है कि परिश्रमी व्यक्ति निरन्तर परिश्रम करता रहता है।
सृष्टि के आदि से अद्यतन काल तक विकसित सभ्यता मानव के परिश्रम का ही फल है। पाषाण युग से मनुष्य वर्तमान वैज्ञानिक काल में परिश्रम के कारण ही पहुंचा। इस दौरान उसे कई बार असफलता भी हाथ लगी लेकिन उसने अपना परिश्रम लगातार जारी रखा। परिश्रम से ही लक्ष्मी की प्राप्ति होती हैं। आजकल के समय में जिसके पास लक्ष्मी है वह क्या नहीं पा सकता। परिश्रम से शारीरिक तथा मानसिक शक्तियों का विकास होता है। कार्य में दक्षता आती है। साथ ही साथ मानव में आत्मविश्वास जागृत होता है।
परिश्रम का महत्व जीवन विकास के अर्थ में निश्चय ही सत्य और यथार्थ है। आज विज्ञान के द्वारा जितनी भी सुविधाएं मानव भोग रहा है वे परिश्रम का ही फल है। विज्ञान की विभिन्न सुविधाओं के द्वारा मनुष्य जहां चांद पर पहुंचा है वही वह मंगल ग्रह पर जाने का प्रयास किये हुए है। यदि परिश्रम किया जाय तो किसी भी इच्छा को अवश्य पूरा किया जा सकता है। यह बात अलग है कि सफलता मिलने में कुछ समय लग जाय। वर्तमान में विश्व के जो राष्ट्र विकासशील या विकसित हैं उनके विकासशील होने के पीछे उनके परिश्रमी व कर्मठ नागरिक हैं। इन कर्मठ व परिश्रमी नागरिकों के कारण ही वे राष्ट्र विश्व में अपनी प्रतिष्ठा बनाये हुए हैं। जरूरी नहीं कि शारीरिक कार्य करने में ही परिश्रम होता है। इंजीनियर, दार्शनिक, राजनीतिज्ञ भी परिश्रम करते हैं। ये लोग परिश्रम शारीरिक रूप से न करके मानसिक रूप से करते हैं।
अमेरिका, जापान, फ्रांस, जर्मनी, चीन आदि राष्ट्रों की महानता अपने-अपने परिश्रमी नागरिकों के कारण ही बनी हुई है। उल्लेखनीय है कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान परमाणु बम के कारण जापान के हिरोशिमा व नागासाकी क्षेत्र ध्वस्त होकर नेस्तोनाबोद हो गये थे। लेकिन वहां के परिश्रमी लोगों ने परिश्रम कर आज जापान को विश्व के विशिष्ट राष्ट्रों की गिनती में ला खड़ा किया हैं। परिश्रमी व्यक्ति को जीवन में हमेशा सफलता मिलती है। इसलिए कहा जा सकता है जीवन में सफलता के लिए परिश्रम का महत्वपूर्ण स्थान है।
जीवन में सुख और शान्ति पाने का एक मात्र उपाय परिश्रम है। परिश्रम रूपी पथ पर चलने वाले मनुष्य को जीवन में सफलता संतुष्टि और प्रसन्नता प्राप्ति होती है। वह हमेशा उन्नति की ओर अग्रसर रहता है। आलसी व्यक्ति जीवन भर कुण्ठित और दुःखी रहता है। क्योंकि वह सब कुछ भाग्य के भरोसे पाना चाहता है। वह परिश्रम न कर व्यर्थ की बातें सोचता रहता है। ठीक इसके विपरीत परिश्रम करने वाला व्यक्ति अपना जीवन स्वावलंबी तो बनाता ही है श्रेष्ठता भी प्राप्त करता है।
जैसा कि हम बचपन से सुनते आ रहे हैं –
‘परिश्रम का फल मीठा होता है’। इसका कहने का अर्थ क्या है कि जो भी व्यक्ति परिश्रम करता है वह कभी भी व्यर्थ नहीं होता है हमें उस कार्य का फल अवश्य प्राप्त होता है तभी तो बड़े बुजुर्गों ने कहा है कि परिश्रम करने वालों की कभी हार नहीं होती।
(iii)परिश्रम के अनुकरणीय उदाहरण- परिश्रम से क्या नहीं संभव होता। मेहनती व्यक्ति के लिए कुछ भी असंभव कार्य नहीं है, जो मेहनत करता है वह अपने दम पर कुछ भी हासिल कर सकता है। हम जीवन में अपने आसपास ऐसे अनेक उदाहरण देखते हैं जो परिश्रम की सीख देते हैं।
मनुष्य के अलावा सभी जीव-जंतु भी बेहद परिश्रम करते हैं और वह परिश्रम द्वारा ही अपने लिए भोजन का प्रबंध कर पाते हैं या अपने अन्य कार्यों का संपादन कर पाते हैं।
हमारे सामने अनेक ऐसे महापुरुषों के उदाहरण हैं जिन्होंने अपने परिश्रम के बल पर अनेक असंभव से संभव काम किये थे। उन्होंने अपने राष्ट्र और देश का ही नहीं बल्कि पूरे विश्व का नाम रोशन किया था। अब्राहिम लिकंन जी एक गरीब मजदूर परिवार में हुए थे बचपन में ही उनके माता-पिता का देहांत हो गया था लेकिन फिर भी वे अपने परिश्रम के बल पर एक झोंपड़ी से निकलकर अमेरिका के राष्ट्रपति भवन तक पहुंच गये थे। महाकवि तुलसीदास ने दिन-रात परिश्रम कर प्रसिद्व धार्मिक ग्रन्थ ‘रामचरितमानस‘ की रचना की। इसी प्रकार कालीदास ने कठोर परिश्रम द्वारा ‘अभिज्ञान शाकुन्तलम्‘ की रचना की थी।
देश दुनिया के प्रसिध्य लोगों ने अपनी मेहनत परिश्रम के बल से ही दुनिया को ये अद्भुत चीजें दी है. आज हमारे महान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी को ही देखिये, ये हफ्ते में सातों दिन 17-18 घंटे काम करते है, ये न कभी त्योहारों, न पर्सनल काम के लिए छुट्टी लेते हैं। देश का इतना बड़ा आदमी जिसे किसी को छुट्टी के लिए जबाब न देना पड़े, वह तक परिश्रम करने से पीछे नहीं हटता हैं।
सफल व्यक्तियों के जीवन को देखें तो जानेगें, उन्हें पहली बार में ही सफलता नहीं मिली थी. निरंतर प्रयास से वे अपने मुकाम तक पहुंचे थे। उदाहरण के तौर पर अगर शाहरुख़ खान फिल्मों में आने से पहले ही ये सोच लेता कि उसे यहाँ काम मिलेगा ही नहीं तो वह आज इतना बड़ा स्टार न बनता। अगर अब्राहम लिंकन परिश्रम न करता, स्ट्रीट लाइट में बैठकर पढाई न करते तो वे अमेरिका के राष्ट्रपति कभी न बन पाते नरेंद्र मोदी जी परिश्रम न करते तो आज चाय की ही दुकान में बैठे होते।
(iv)परिश्रम और अभ्यास से सफलता- परिश्रम और अभ्यास के बिना मानव जीवन व्यर्थ है। परिश्रम के अभाव में जीवन की गाड़ी नहीं चल सकती। दैनिक जीवन में भी स्वयं को उठना-बैठना, खाना-पीना भी संभव नहीं हो सकती। आज संसार में बिना परिश्रम के कुछ भी पाना बेहद मुश्किल है। महान पुरुषों द्वारा भी कहा गया है कि परिश्रम और अभ्यास से ही हमारे जीवन को अच्छा और प्रगतिशील बनाया जा सकता है।
परिश्रम के साथ निरंतर अभ्यास जरूरी हैं क्योंकि कई बार परिश्रम का फल ना मिलने से लोग या छात्रा उत्साहीन हो जाते हैं कि परिश्रम करने से सफलता नहीं मिली ऐसे में हमें उत्साहीन ना होकर सही दिशा में निरंतर अभ्यास करते रहना चाहिए।
जिस देश के लोग परिश्रमहीन एवं साहसहीन होंगे वह देश कभी प्रगति नहीं कर सकता क्योंकि परिश्रम तो मिट्टी से भी सोना बना देता है। यदि छात्र परिश्रम न करें तो परीक्षा में कैसे सफल हो सकता है उसे तो केवल असफलता ही मिलेगी। मजदूर भी अगर परिश्रम कर पसीना ना बहाऐं तो सड़कों, भवनों, मशीनों तथा संसार के लिए उपयोगी वस्तुओं का निर्माण कैसे होगा और इन चीजों का निर्माण नहीं होगा तो हमारा देश विकास कैसे करेगा।
कुछ लोग तो काम करना पसंद नहीं करते और सब कुछ अपने भाग्य में ढाल देते है, यह भी गलत बात है क्योंकि यदि कोई विद्यार्थी परिश्रम नहीं करेगा और परीक्षा में असफल होने पर भाग्य को दोष देगा यह भी मेरे हिसाब से गलत है। परिश्रम और निरंतर अभ्यास एक अनपढ़ इंसान को भी पढ़ना सीखा देता है। परिश्रम और अभ्यास ही हमें सफलता के ऊंच स्तरों पर ले जाती है।
परिश्रम के बल पर मनुष्य अपने भाग्य की रेखाओं को बदल सकता है। आज हमारे देश में अनेक समस्याएँ हैं, उन सब का समाधान परिश्रम के द्वारा ही किया जा सकता है। अंत में हम यही कहना चाहता हूँ कि परिश्रमी और निरंतर अभ्यास करने वाला व्यक्ति ही स्वावलंबी, ईमानदार, सत्यवादी, चरित्रवान और सेवा भाव से युक्त होते है। इसलिए हमें परिश्रम और अभ्यास करनी कभी नहीं छोड़ना चाहिए।
(v)उपसंहार- जो व्यक्ति परिश्रमी होते है वे चरित्रवान, ईमानदार और स्वावलम्बी होते हैं। अगर हम अपने जीवन की, अपने देश और राष्ट्र की उन्नति चाहते हैं तो हमें परिश्रम और निरंतर अभ्यास करना होगा। जो व्यक्ति परिश्रम करता है उनका स्वास्थ्य भी ठीक रहता हैं।
(ख) समाचार पत्र के नियमित पठन का महत्त्व
(i) प्रस्तावना- आजकल, समाचार पत्र जीवन की एक आवश्यकता बन गया है। यह बाजार में लगभग सभी भाषाओं में उपलब्ध होता है। एक समाचार पत्र खबरों का प्रकाशन होता है, जो कागजों पर छापा जाता है और लोगों के घरों में वितरित किया जाता है। अलग-अलग देश अपना अलग समाचार संगठन रखते हैं। समाचारपत्र मुख्य रूप से मुख्य घटनाओं का विवरण प्रस्तुत करते हैं। देश-विदेश में जिस क्षण भी राजनीतिक भूकंप आया, समाचारपत्र में शीघ्र ही उसके कंपन का अंकन हो गया। अतः समाचारपत्र युग के गतिमापक यंत्र है। यह ऐसा दर्पण है, जिसमें हम जनजीवन का प्रतिबिंब देखते हैं, यह ऐसा शीशा है, जिसके आर-पार हम देख सकते हैं। समाचापत्र समाज का थर्मामीटर है, जिसमें समाजिक वातावरण के तापमान का भान होता है।
(ii) ज्ञान का भंडार- आजकल समाचार-पत्र पाठकों की ज्ञान-वृद्धि भी करते है। विशेष रूप रविवारीय पुष्ठों में छपी जानकारियाँ, नित्य नए अविष्कार, नए साधन, नए पाठ्यक्रमों की जानकारी, अदभुत संसार की अदभुत जानकारियाँ पाठकों का ज्ञान बढ़ाती है। रोगों की जानकारी, उनके इलाज के उपाय भी समाचार-पत्र में छापे जाते है।
समाचार पत्र वास्तव में ज्ञान का भंडार है। इनके माध्यम से हमें जहां विश्व भर की घटनाओं की जानकारी मिलती है वही इसमें अपना विज्ञापन देकर व्यवसायी लोग अपना व्यापार भी बढ़ाते हैं। इनमें विज्ञापन देने से हर तबके में मध्य आप अपने उत्पाद का प्रचार कर सकते हैं। समाचार पत्रों में हर वर्ग के लिए कुछ न कुछ विशेष अवश्य होता है। इसमें महिलाओं से लेकर बच्चों तक के लिए सामग्री प्रकाशित होती हैं।
समाचार पत्रों के माध्यम से हमें राजनीतिक घटनाक्रमों के अलावा खेलों, फलों व सब्जियों के भाव, रेलवे आरक्षण, परीक्षा परिणाम, विभिन्न शैक्षिक संस्थानों में प्रवेश सम्बन्धी जानकारी भी प्राप्त होती हैं। समाचार पत्र दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक या फिर त्रैमासिक हो सकता है।
आजकल समाचार पत्र के माध्यम से विज्ञापन के जरिये चिजों की जानकारी प्राप्त होती है। जैसे- समाचार पत्रों मे प्रकाशित विज्ञापन के जरिये हम जॉब, वैवाहिकी जैसी कई जानकारी प्राप्त कर सकते है। आजकल समाचार पत्रों में कोई भी नयी वस्तु चाहे वो मोबाइल हो या कार या किचिन से संबंधित कोई चीज उसका विज्ञापन हमे तुरंत देखने मिलता है और हमें इन चिजों की तथा इनकी कीमत की जानकारी मिलती है।
आजकल समाचार पत्र के माध्यम से सरकारी योजनाओ की जानकारी प्राप्त होती है। जैसे- कोई भी सरकारी योजना हो चाहे उसमें कोई परिवर्तन किए गए हो या उसे नया लॉंच किया गया हो, उसकी जानकारी हमें तुरंत समाचार पत्रों में उपलब्ध होती है। ताकि हम उसे जानकर उसका फायदा ले सके।
समाचार पत्र बच्चों के लिए भी उपयोगी होते है। समाचार पत्रों ने अपने बाल पाठ्को पर ध्यान देना भी प्रारंभ कर दिया है। वे उनके लिए अलग पत्रिकाओ के साथ-साथ कई तरह की प्रतियोगिताये भी आयोजित करते है। जिससे उनके मनोरंजन के साथ साथ उन्हे कई जानकारी भी मिलती है, साथ ही रीडिंग हेबिट्स भी बढ़ती है।
(iii)पढ़ने की स्वस्थ आदत का विकास- हम सभी के लिए समाचार पत्र का नियमित पाठ करना अत्यंत लाभकारी है। यह करने से हमें कई तरह के फायदे होंगे। अगर हम समाचार पत्र का नियमित रूप से पाठ करते हैं तो इससे पढ़ने कि स्वस्थ आदत हमें लग जाएगी जिसके बाद अन्य विषयों में भी पढ़ने कि रुचि बढ़ेगी। समाचार पत्र में शहर, राज्य, देश, दुनिया, खेल, अर्थव्यवस्था आदि से जुड़ी खबरें रहती है। अगर हम रोज अख़बार का पाठ करते हैं तो इससे हमारा ज्ञान वर्धन होगा और हम आस पास में हो रही चीजों से अवगत रहेंगे।
समाचार पत्र वह आवश्यक साधन है जो समाज के सभी वर्गों के लोगों के लिए जरूरी है। तो मेरे छात्रों क्यों इससे वंचित रहे? आपको अपने अंदर नियमित आधार पर अखबार पढ़ने की आदत उत्पन्न करने की कोशिश करनी चाहिए जिससे आप अपने आप में एक स्वस्थ बदलाव का अनुभव करेंगे। साथ ही, अपने सहकर्मी समूह में समाचार पत्र पढ़ने की इस आदत को प्रोत्साहित करें और अपने बौद्धिक विकास के लिए चर्चाओं और बहस में शामिल हों।
छात्रों को समाचार पत्रों/अख़बारों को पढ़ने से बहुत अधिक फायदे प्राप्त होते हैं जैसे वे अपनी शब्दों के ज्ञान को बढ़ा सकते हैं। चाहे राजनीति विज्ञान हो, अर्थशास्त्र, हिंदी या कोई अन्य विषय हो छात्र आसानी से अपने स्रोत और दिलचस्पी के अनुसार टर्मिनोलोजी और संबंधि जानकारी हासिल कर सकते हैं। जैसे हमारे पास अखबार में अर्थशास्त्र के छात्रों के लिए “आर्थिक पृष्ठ खंड” होता है उसी तरह साहित्य या राजनीति विज्ञान के छात्रों के लिए संपादकीय पृष्ठ भी होता है। अपने शब्दों के ज्ञान को सुधारने के अलावा अखबार पढ़ने की आदत भी लोगों के सामान्य ज्ञान को बढ़ाती है और हमारे देश के विभिन्न हिस्सों और दुनिया में नवीनतम लोकप्रिय खबर के बारे में जागरूकता फैलाती है।
समाचार पत्र पढ़ना बहुत ही रुचि का कार्य है। यदि कोई इसे नियमित रूप से पढ़ने का शौक़ीन हो गया तो वह कभी भी समाचार पत्र पढ़ना नहीं छोड़ सकता। यह विद्यार्थियों के लिए बहुत अच्छा है क्योंकि यह हमें सह ढंग से अंग्रेजी बोलना सिखाता है। समाचार पत्र अब देश के पिछड़े हुए क्षेत्रों में भी बहुत प्रसिद्ध हो गए हैं। किसी भी भाषा को बोलने वाला व्यक्ति समाचार पत्र पढ़ सकता है क्योंकि यह विभिन्न भाषाओं; जैसे- हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू आदि में क्षेत्रों के अनुसार उपलब्ध है। समाचार पत्र हम सभी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि हम हमारे लिए दुनिया भर के कोनों से सैकड़ों खबरें लाता है।
यदि हम प्रतिदिन नियमित रूप से समाचार पत्र पढ़ने की आदत बनाते है, तो यह हमारी बहुत मदद करता है। यह हम में पढ़ने की आदत विकसित करता है, हमारे प्रभाव में सुधार करता है और हमें बाहर के बारे में सभी जानकारी देता है। कुछ लोगों में समाचार पत्र को प्रत्येक सुबह पढ़ने की आदत होती है। वे समाचार पत्र की अनुपस्थिति में बहुत अधिक बेचैन हो जाते हैं और पूरे दिन कुछ अकेलापन महसूस करते हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले विद्यार्थी भी अपने मस्तिष्क को वर्तमान सामयिक घटनाओं से जोड़े रखने के लिए नियमित रूप से अख़बार पढ़ते हैं।
(iv)जागरूकता- समाचार पत्र पढ़ने से लोगो में जागरूकता भी आती है। और लोग सजग होते हैं। छात्र जीवन में नियमित रुप से समाचार पत्र पढ़ने से हमें कई विधिक विषयों पर जागरुकता मिलती है। इसलिए हर विद्यार्थी को पाठ्यक्रम के बाद नियमित समाचार पत्र भी पढ़ना चाहिए।सरकारी योजनाओं से संबंधित सारी जानकारियाँ समय समय पर समाचार पत्रों के माध्यम से पाठकों को मिलती हैं। और इससे पाठक जागरूक होकर लाभान्वित होते हैं। बिमारियों के फैलने और उनके रोकथाम हेतु जनमानस को समाचार पत्रों के माध्यम से जागरूक किया जाता हैं। युवा वर्ग को रोजगार परक विषयों के चुनाव में समाचार पत्र महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आने वाले दौर में कौन सी तकनीक का बोलबाला रहेगा। इसके संबंध में समाचार पत्र पाठको को जागरूक करते हैं। समाचार पत्र इंटरनेट के माध्यम से संचालित होने वाले अपने एप्प्स के द्वारा प्राकृतिक आपदाओं के बारे में त्वरित जानकारी उपलब्ध करवाते हैं, जिससे जानमाल का न्यूनतम नुकसान होता है।
(v)उपसंहार- आज की लोकप्रिय व्यवस्था में समाचार पत्रों का अत्यधिक महत्व होता है। समाचार पत्र ज्ञानवर्धन का साधन होते हैं इसलिए हमें नियमित रूप से उनका अध्ययन करनी की आदत डालनी चाहिए। समाचार पत्रों के बिना आज के युग में जीवन अधुरा है। आज के समय में समाचार का महत्व बहुत बढ़ चुका है क्योंकि आज के आधुनिक युग में शासकों को जिस चीज से सबसे ज्यादा भय है वह समाचार पत्र हैं।
(ग) युवा वर्ग का विदेशों के प्रति बढ़ता मोह
(i)प्रस्तावना- उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए या उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद लोग विदेश जाना पसंद करते हैं। उन्हें लगता है कि विदेश जाने से वे वहां के तकनीकी विकास का पूरा लाभ उठा पाएंगे। ऊंचे दर्जे के वैज्ञानिकों आदि के साथ काम करके वे अपनी योग्यता को पूर्ण रूप से विकसित कर सकते हैं। इन सब के अलावा लोग वहां के रहन-सहन और उनके कल्चर से सबसे ज्यादा आकर्षित होते हैं।
(ii)विदेशों के प्रति बढ़ता आकर्षण- समाज में उन लोगों को शुरू से ही काफी इज्जत दी जाती है जो लोग विदेश घूम कर आए हैं या जिनके घर का कोई व्यक्ति विदेश में रहता है। इस वजह से आज के लोग अपने बच्चों को विदेशों में पढ़ाई के लिए भेजते हैं। लेकिन दिक्कत तब खड़ी हो जाती है जब वही बच्चे अपने मां-बाप को छोड़कर विदेश में ही बस जाने का सोच लेते हैं और फिर वापस मुड़कर कभी नहीं आते। उनके इसी व्यवहार के कारण जो समाज उन्हें इज्जत देता था वही समाज उनकी प्रतिष्ठा पर प्रश्न चिन्ह खड़ा कर देता है।
(iii)आर्थिक सम्पन्नता- अधिकांश युवा विदेशों में अच्छी नौकरी व सुविधाओं के लिए ही जाना पसंद करते है। विदेशों में उनके द्वारा अर्जित डिग्री के बल पर उन्हें अच्छी नौकरी आसानी से मिल जाता है। वही अपने देश में युवाओं को उनके योग्यता के हिसाब से नौकरी मिलना बहुत कठिन कार्य प्रतीत होता हैं।
विदेशों में युवा अपने मेहनत के बल पर कम समय में अच्छी प्रगति कर सकते हैं। इनसे इनका आर्थिक पक्ष के साथ-साथ समाजिक स्तर पर अपनी छवि बनाने में कामयाब होते हैं। आर्थिक स्तर से मजबूत होने के उपरांत अपने बच्चों को आधुनिक शिक्षा और नवीनतम तकनीकी ज्ञान प्रदान कर सकते हैं।
स्वास्थ्य से जुड़े नवीनतम इलाज का खर्चा आराम से उठा सकते हैं। विदेशों के प्रति आज के कर्मठ युवा का मोह का सबसे बड़ा कारण अपने वर्तमान और भविष्य दोनों को सुनहरा हर स्तर से सुनहरा बनाने का मौका है।
(iv)बेहतर जीवन शैली- युवा वर्ग विदेशी जीवनशैली से ज्यादा आकर्षित होते है।आजकल के युवाओं को विदेशों देशों में पाई जानेवाली आधुनिक जीवनशैली,वहाँ की संस्कृति,वहाँ के लोगों का रहन सहन ज्यादा पसंद है।विदेश में भारत के मुकाबले सभी लोग अपने काम से काम रखते है, आजकल के युवाओं को कोई उनके काम में ज्यादा दखलंदाजी करें, ये उन्हें पसंद नही। यह एक और चीज़ है, जो उन्हें विदेश में जाने के लिए आकर्षित करती हैं।
(v)उपसंहार- युवा वर्ग का विदेशों के प्रति बढ़ता मोह हर विकाशील देश के लिए प्रतिभा पलायन रूपी समस्या हैं। राष्ट्र को युवा वर्ग के योग्यता के हिसाब से रोजगार के पर्याप्त मौके अपने देश में उपलब्ध करवाने चाहिए, जिससे की आज का युवा उच्च शिक्षा विदेशों में लेने के उपरांत भी अपने देश में काम करे और देश का नाम रौशन करे। युवा वर्ग को भी अपने व्यक्तिगत तरक्की के साथ-साथ देश प्रेम की भावना से देशहित में काम करना चाहिए।
(12) अपने क्षेत्र की नालियों तथा सड़कों की समुचित सफाई न होने पर स्वास्थ्य अधिकारी को एक पत्र लगभग 80-100 शब्दों में लिखिए।
नांगलोई,
नई दिल्ली
07.02.2020
सेवा में,
श्रीमान स्वास्थ्य अधिकारी महोदय
दिल्ली नगर निगम,
नांगलोई, नई दिल्ली
विषय: नांगलोई के बंद नालों और उसके कारण सड़कों पर जलजमाव होने से क्षेत्र में बीमारी फैलने के आशंका के तरफ ध्यानाकर्षण और आवश्यक कार्रवाई हेतु अनुरोध पत्र।
आदरणीय महोदय,
अपार दुःख के साथ सूचित करना पर रहा है कि नांगलोई के बंद नालों और सड़कों पर बंद नालों के कारण जलजमाव से संबंधित शिकायत पत्र कई बार भेजने के उपरांत भी कोई कार्रवाई अभी तक नही हुआ है।
सड़को पर गंदे नालों के पानी से जलजमाव होने के कारण डेंगू और अन्य बीमारियों के फैलने की संभावना पूरे क्षेत्र में बनी हुई है। सड़को पर जलजमाव होने के कारण दैनिक आवाजाही भी प्रभावित है और नित्य कई तरह के सड़को पर हादसे होते रहते हैं।
उपरोक्तवर्णित समस्या की गंभीरता को देखते हुए श्रीमान से त्वरित कार्रवाई की उम्मीद करते है। कृपया संबंधित कर्मचारियों को अविलंब बंद नालों की सफाई करने और सड़कों पर गंदे पानी से हुए जलजमाव को हटाने और वहाँ पनपे मच्छरों के खात्मे हेतु आवश्यक कार्रवाई करने का आदेश निर्गत करने की कृपा करें।
धन्यवाद
भवदीय
समस्त नंगलोईवासी और उनके परिजन।
आपकी कक्षा में एक नए अध्यापक पढ़ाने आए है जो कि बहुत अच्छा पढ़ाते हैं। उनके विषय में परिचयात्मक सूचना देते हुए अपने मित्र को लगभग 80-100 शब्दों में एक पत्र लिखिए।
22/11 साई अपार्टमेंट,
कीर्ति नगर, नई दिल्ली।
दिनांक: 09.02.2020
प्रिय मित्र नवेश,
सप्रेम नमस्ते।
मैं यहां कुशल मंगल हूं और आशा करता हूं कि तुम भी वहां कुशल होंगे।आपने अपने पिछले पत्र में किसी ‘नए समाचार’ के विषय में जानने की जिज्ञासा प्रकट की है।
हमारे विद्यालय में पिछले सप्ताह अंग्रेजी के एक नए शिक्षक आए हैं। उनके पढ़ाने के तरीक़े ने विषय को रोचक और सहज बना दिया है। अंग्रेजी के शब्दों के उच्चारण संबंधित उनके सुझाव और ज्ञान ने अंग्रेजी में बात करना अत्यंत सरल बना दिया है। उन्होंने अंग्रेजी के शब्दकोश को बढ़ाने हेतु नित्य अंग्रेज़ी अखबार से एक लेख पढ़ने और मुश्किल शब्दों का अर्थ और प्रयोग समझने हेतु डिक्शनरी अथवा उनसे संपर्क करने का सुझाव दिया है। उनके सभी विद्यार्थियों को समान रूप से ध्यान देने और समस्याओं के समाधान हेतु हमेशा उपलब्ध रहने से हम सभी के अंग्रेज़ी के ज्ञान में बहुत सुधार हुआ है। उनके ज्ञान और सहज व्यक्तित्व से सभी प्रभावित हैं।
चाचाजी और चाचीजी को सादर प्रणाम और विशेष बातें अगले पत्र में।
तुम्हारा अभिन्न मित्र
सुरेश
(13) ‘शिक्षा का अधिकार’ के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में इस अधिकार का लाभ उठाने के लिए एक विज्ञापन लगभग 25-50 शब्दों में तैयार कीजिए।
*शिक्षा का अधिकार अधिनियम का लाभ उठाएँ*
शिक्षा का अधिकार अधिनियम 6 से 14 साल की उम्र के हरेक बच्चे को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार देता है। इसके लिए बच्चों या उनके अभिभावकों से प्राथमिक शिक्षा हासिल करने के लिए कोई भी प्रत्यक्ष फीस (स्कूल फीस) या अप्रत्यक्ष मूल्य (यूनीफॉर्म, पाठ्य-पुस्तकें, मध्या भोजन, परिवहन) नहीं लिया जाएगा। सरकार बच्चे को निःशुल्कू स्कूलिंग उपलब्ध करवाएगी जब तक कि उसकी प्राथमिक शिक्षा पूरी नहीं हो जाती। जनमानस से निवेदन है कि उपरोक्त अधिनियम का लाभ उठायें और देश के भविष्य को उज्ज्वल करने में महत्वपूर्ण योगदान दे।
‘भारतीय रेलवे खानपान एवं पर्यटन निगम’ (आई.आर.सी.टी.सी.) की ओर से यात्रियों को भारत दर्शन यात्रा के लिए आमंत्रित करते हुए एक विज्ञापन 25-50 शब्दों में तैयार कीजिए।
*आईआरसीटीसी कराएगा भारत दर्शन*
आईआरसीटीसी 8 मई से भारत दर्शन यात्रा शुरू करने जा रहा है, जो 18 मई को समाप्त होगी। इसमें राजधानी सहित प्रदेश के लोगों को देश के कई धार्मिक स्थलों का भ्रमण कराया जाएगा।
भारत दर्शन के तहत लोग स्टैच्यू ऑफ यूनिटी वड़ोदरा, गणपति फुले बीच एवं मंदिर, रत्नागिरि का भ्रमण करने का मौका मिलेगा। साथ ही आमजन उज्जैन स्थित महाकालेश्वर एवं ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, तिरुपति बालाजी मंदिर एवं मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के भी दर्शन कर सकेंगे।
यात्रा से संबंधित विस्तृत जानकारी हेतु www.irctc.co. in वेबसाइट पर लॉग करें।
श्री राम कुमार
मुख्य क्षेत्रीय प्रबंधक
आईआरसीटीसी,कोलकता