ग्राफी पुटक (ग्राफिएन फ़ॉलिकिल) का एक नामांकित आरेख बनाएँग्राफी पुटक (ग्राफिएन फ़ॉलिकिल) का एक नामांकित आरेख बनाएँ

1. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें :
(क) मानव ………….. उत्पत्ति वाला है| (अलैंगिक/लैंगिक)
▶ लैंगिक

(ख) मानव ………….. हैं| (अंडप्रजक, सजीवप्रजक, अंडजरायुज)
▶ सजीवप्रजक

(ग) मानव में ……………. निषेचन होता है| (बाह्य/आंतरिक)
▶ आंतरिक

(घ) नर एवं मादा युग्मक ……………. होते हैं| (अगुणित/द्विगुणित)
▶ अगुणित

(ङ) युग्मनज …………….. होता है| (अगुणित/द्विगुणित)
▶ द्विगुणित

(च) एक परिपक्व पुटक से अंडाणु (ओवम) के मोचित होने की प्रक्रिया को ……………. कहते हैं|
▶ अंडोत्सर्ग

(छ) अंडोत्सर्ग (ओव्यूलेशन) …………. नामक हॉर्मोन द्वारा प्रेरित (इन्डयूस्ड) होता है|
▶ पीत पिंडकर

(ज) नर एवं स्त्री के युग्मक के संलयन (फ्युजन) को ………….. कहते हैं|
▶ निषेचन

(झ) निषेचन …………. में संपन्न होता है|
▶ फेलोपियन नलिका

(ञ) युग्मनज विभक्त होकर ………..की रचना करता है जो गर्भाशय में अंतर्रोपित (इंप्लांटेड) होता है|
▶ कोरकपुटी

(ट) भ्रूण और गर्भाशय के बीच संवहनी संपर्क बनाने वाली संरचना को …………. कहते हैं|
▶ अपरा

2. पुरूष जनन-तंत्र का एक नामांकित आरेख बनाएँ|

2. पुरूष जनन तंत्र का एक नामांकित आरेख बनाएँ - Class 12th: Ch 3 मानव जनन जीव विज्ञान MCQ
पुरूष जनन-तंत्र का एक नामांकित आरेख बनाएँ

3. स्त्री जनन-तंत्र का एक नामांकित आरेख बनाएँ

3. स्त्री जनन तंत्र का एक नामांकित आरेख बनाएँ - Class 12th: Ch 3 मानव जनन जीव विज्ञान MCQ
स्त्री जनन-तंत्र का एक नामांकित आरेख बनाएँ
4. वृषण तथा अंडाशय के बारे में प्रत्येक के दो-दो प्रमुख कार्यों का वर्णन करें|
उत्तर
वृषण के दो प्रमुख कार्य :
• शुक्राणुजनन की प्रक्रिया द्वारा शुक्रजनक नलिकाओं में शुक्राणुओं का उत्पादन|
• लीडिग कोशिकाओं द्वारा नर हॉर्मोन टेस्टोस्टेरॉन का उत्पादन|
अंडाशय के दो प्रमुख कार्य :
• अंडजनन प्रक्रिया के द्वारा अंडाणुओं का उत्पादन|
• मादा हॉर्मोन एस्ट्रोजन तथा प्रोजेस्ट्रोन का उत्पादन|
5. शुक्रजनक नलिका की संरचना का वर्णन करें|
उत्तर
प्रत्येक वृषण पालिका के अंदर एक से लेकर तीन अति कुंडलित शुक्रजनक नलिकाएँ होती है जिनमें शुक्राणु पैदा किए जाते हैं| प्रत्येक शुक्रजनक नलिका का भीतरी भाग दो प्रकार की कोशिकाओं से स्तरित होती हैं, जिन्हें नर जर्म कोशिकाएँ और सर्टोली कोशिकाएँ कहते हैं| नर जर्म कोशिकाएँ अर्धसूत्री विभाजन के फलस्वरूप शुक्राणुओं का निर्माण करती हैं जबकि सर्टोली कोशिकाएँ जर्म कोशिकाओं को पोषण प्रदान करती हैं| शुक्रजनक नलिकाओं के बाहरी क्षेत्र को अंतराली अवकाश कहा जाता है| इसमें छोटी-छोटी रुधिर वाहिकाएँ और अंतराली कोशिकाएँ या लीडिग कोशिकाएँ होती हैं|
नलिका की संरचना का वर्णन करें - Class 12th: Ch 3 मानव जनन जीव विज्ञान MCQ
शुक्रजनक नलिका की संरचना का वर्णन करें
7. शुक्राणुजनन की प्रक्रिया में नियमन में शामिल हॉर्मोनों के नाम बताएँ|
उत्तर
शुक्राणुजनन की प्रक्रिया में नियमन में शामिल हॉर्मोन गोनैडोट्रॉपिन रिलीजिंग हॉर्मोन (जीएनआरएच), पीत पिंडकर (ल्यूटिनाइजिंग हॉर्मोन/एल एच) तथा पुटकोउद्दीपक हॉर्मोन (फॉलिकल स्टिमुलटिंग हॉर्मोन/एफ एस एच) हैं|
8. शुक्राणुजनन एवं वीर्यसेचन (स्परमियेशन) की परिभाषा लिखें|
उत्तर
शुक्राणुप्रसू का रूपांतरित होकर शुक्राणु में बदलने की प्रक्रिया शुक्राणुजनन कहलाती है| हॉर्मोनल तथा शारीरिक कारकों के प्रभाव से शुक्रजनक नलिकाओं से मोचित (रिलीज) होने की प्रक्रिया वीर्यसेचन कहलाता है|
9. शुक्राणु का नामांकित आरेख बनाएँ|
उत्तर
का नामांकित आरेख बनाएँ - Class 12th: Ch 3 मानव जनन जीव विज्ञान MCQ
शुक्राणु का नामांकित आरेख बनाएँ
10. शुक्रीय प्रदव्य (सेमिनल प्लाज्मा) के प्रमुख संघटक क्या हैं?
उत्तर
शुक्रीय प्रदव्य (सेमिनल प्लाज्मा) के प्रमुख संघटक फ्रुक्टोज (फल शर्करा), कैल्सियम तथा कुछ प्रकिण्व (एंजाइम्स) हैं, जो पुरूष लिंग की सहायक ग्रंथियों स्राव के मिश्रण से आते है|
11. पुरूष की सहायक नलिकाओं एवं ग्रंथियों के प्रमुख कार्य क्या हैं?
उत्तर
पुरूष की सहायक नलिकाओं का प्रमुख कार्य वृषण से प्राप्त शुक्राणुओं का भंडारण तथा मूत्र मार्ग से इनका बाहर स्थानांतरण करना है|
पुरूष की सहायक ग्रंथियों के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं :
• शुक्राशय ग्रंथि- फ्रुक्टोज (फल शर्करा) का स्राव होता है जो शुक्राणुओं तथा प्रोस्टग्लैंडज के द्वारा ऊर्जा के
स्रोत के रूप में उपयोग किया जाता है, जो मांसपेशियों में संकुचन पैदा करता है|
• पुरस्थ (प्रोस्टेट) ग्रंथि- कैल्सियम का स्राव होता है, जो मूत्र की अम्लीयता को उदासीन का देता है|
• बल्बोयूरेथ्रल ग्रंथि- इसका स्राव मैथुन के दौरान शिश्न में स्नेहन (लूब्रिकेशन) प्रदान करने में भी सहायक होता है|
12. अंडजनन क्या है? अंडजनन की संक्षिप्त व्याख्या करें|
उत्तर
मादा में अंडजननी से अंडाशय में परिपक्व अंडाणुओं के निर्माण की प्रक्रिया को अंडजनन कहते हैं|
मादा भ्रूण की जर्म कोशिकाएँ अंडजननी (मातृ युग्मक कोशिकाओं) का उत्पादन करने के लिए विभाजित होती हैं| जन्म के बाद अंडजननी का निर्माण और उसकी वृद्धि नहीं होती है| कोशिकाओं के अर्धसूत्री विभाजन के पूर्वावस्था- 1 में प्रविष्ट होती हैं और इस अवस्था में स्थायी तौर पर अवरूद्ध रहती हैं| इन्हें प्राथमिक अंडक कहते हैं| उसके बाद प्रत्येक प्राथमिक अंडक कणिकामय कोशिकाओं की परत से आवृत्त होती है और इन्हें प्राथमिक पुटक कहा जाता है| प्राथमिक पुटक कणिकामय कोशिकाओं के और अधिक परतों से आवृत्त हो जाते हैं तथा एक और नए प्रावरक स्तर से घिर जाते हैं जिसे द्वितीयक पुटक कहते हैं| द्वितीयक पुटक जल्द ही एक तृतीय पुटक में परिवर्तित हो जाता है| तृतीय पुटक के भीतर प्राथमिक अंडक के आकार में वृद्धि होती है और इसका पहला अर्धसूत्री विभाजन पूरा होता है| यह एक असमान विभाजन है, जिसके फलस्वरूप वृहत् अगुणित द्वितीयक अंडक तथा एक लघु प्रथम ध्रुवीय पिंड की रचना होती है|इस प्रकार द्वितीयक, प्राथमिक अंडक के पोषक से भरपूर कोशिका प्रदव्य की मात्रा को संचित रखती है
क्या है - Class 12th: Ch 3 मानव जनन जीव विज्ञान MCQ
अंडजनन क्या है

13. अंडाशय के अनुप्रस्थ काट (ट्रांसवर्स सेक्शन) का एक नामांकित आरेख बनाएँ

13. अंडाशय के अनुप्रस्थ काट ट्रांसवर्स सेक्शन का एक नामांकित आरेख बनाएँ - Class 12th: Ch 3 मानव जनन जीव विज्ञान MCQ
अंडाशय के अनुप्रस्थ काट (ट्रांसवर्स सेक्शन) का एक नामांकित आरेख बनाएँ

14. ग्राफी पुटक (ग्राफिएन फ़ॉलिकिल) का एक नामांकित आरेख बनाएँ

14. ग्राफी पुटक ग्राफिएन फ़ॉलिकिल का एक नामांकित आरेख बनाएँ - Class 12th: Ch 3 मानव जनन जीव विज्ञान MCQ
ग्राफी पुटक (ग्राफिएन फ़ॉलिकिल) का एक नामांकित आरेख बनाएँ
15. निम्नलिखित के कार्य बताएँ-
(क) पीत पिंड (कॉर्पस ल्युटियम)
(ख) गर्भाशय अंतःस्तर (इंडोमेट्रियम) 
(ग) अग्रपिंडक (एक्रोसोम)
(घ) शुक्राणु पुच्छ (स्पर्म टेल)
(ङ) झालर (फिम्ब्री)
उत्तर
 
(क) पीत पिंड (कॉर्पस ल्युटियम)- यह भारी मात्रा में प्रोजेस्ट्रोन स्रवित करता है, जो कि गर्भाशय अंतःस्तर को बनाए रखने के लिए आवश्यक है|
(ख) गर्भाशय अंतःस्तर (इंडोमेट्रियम)- यह गर्भाशय की आंतरिक ग्रंथिल स्तर है, जो भ्रूण के पोषण तथा विकास के लिए उत्तरदायी है| यह आर्तव चक्र के दौरान चक्रीय परिवर्तन से गुजरता है तथा कोकरपुटी और अपरा के अंतर्रोपण के लिए स्वयं को तैयार करता है|
(ग) अग्रपिंडक (एक्रोसोम)- शुक्राणु के शीर्ष में एक दीर्घिकृत अगुणित केंद्रक होता है और इसका अग्रभाग एक टोपीनुमा संरचना से आवृत्त होता है जिसे अग्रपिंडक (एक्रोसोम) कहते हैं| यह अग्रपिंडक उन प्रकिण्वों से भरा होता है, जो अंडाणु के निषेचन में मदद करते हैं|
(घ) शुक्राणु पुच्छ (स्पर्म टेल)- यह शुक्राणु को निषेचन करने के लिए आवश्यक गतिशीलता प्रदान करता है|
16. सही या गलत कथनों को पहचानें-
(क) पुंजनों (एंड्रोजेन्स) का उत्पादन सर्टोली कोशिकाओं द्वारा होता है| (सही/गलत)
▶ गलत, पुंजनों (एंड्रोजेन्स) का उत्पादन लीडिग कोशिकाओं द्वारा होता है|
(ख) शुक्राणु को सर्टोली कोशिकाओं से पोषण प्राप्त होता है| (सही/गलत)
▶ सही|
(ग) लीडिग कोशिकाएँ अंडाशय में पाई जाती हैं| (सही/गलत)
▶ गलत, लीडिग कोशिकाएँ वृषण में पाई जाती हैं|
(घ) लीडिग कोशिकाएँ पुंजनों (एंड्रोजेन्स) को संश्लेषित करती हैं| (सही/गलत)
▶ सही|
(ङ) अंडजनन पीत पिंड (कॉपर्स ल्युटियम) में संपन्न होता है| (सही/गलत)
▶ गलत, अंडजनन ग्राफी पुटक में संपन्न होता है|
(च) सगर्भता (प्रेगनेंसी) के दौरान आर्तव चक्र (मेन्स्ट्रुअल साइकिल) बंद होता है| (सही/गलत)
▶ सही|
(छ) योनिच्छद (हाइमेन) की उपस्थिति अथवा अनुपस्थिति कौमार्य (वर्जिनिटी) या यौन अनुभव का विश्वसनीय संकेत नहीं हैं| (सही/गलत)
▶ सही|
17. आर्तव चक्र क्या हैं? आर्तव चक्र (मेन्स्ट्रुअल साइकिल) का कौन से हॉर्मोन नियमन करते हैं?
उत्तर
मादा प्राइमेटों में होने वाले जनन चक्र को आर्तव चक्र कहते हैं| प्रथम ऋतुस्राव/रजोधर्म की शुरूआत यौवनारंभ पर शुरू होती है, जिसे रजोदर्शन कहते हैं| स्त्रियों में यह आर्तव चक्र प्रायः 28/29 दिनों की अवधि के बाद दोहराया जाता है, इसीलिए एक रजोधर्म से दूसरे रजोधर्म के बीच घटना चक्र को आर्तव चक्र (मेन्स्ट्रुअल साइकिल) कहा जाता है|
आर्तव चक्र का नियमन करने वाले हॉर्मोन हैं:
• पुटकोद्दीपक हॉर्मोन (एफएसएच) तथा पीत पिंडकर हॉर्मोन (एलएच) पुटक के वृद्धि तथा अंडाणु के परिपक्वता को उद्दीपित करता है|
• ऐस्ट्रोजन अंतःस्तर को बनाए रखता है तथा उसका विकास करता है|
• ऐस्ट्रोजन तथा प्रोजेस्ट्रोन गर्भाशय अंतःस्तर तथा शरीर के अन्य भागों को सगर्भता के लिए तैयार करता है|
18. प्रसव (पारट्युरिशन) क्या हैं? प्रसव को प्रेरित करने में कौन से हॉर्मोन शामिल होते हैं?
उत्तर
सगर्भता के अंत में गर्भ के बाहर निकलने की प्रक्रिया को शिशु-जन्म या प्रसव (पारट्युरिशन) कहते हैं|
प्रसव को प्रेरित करने में निम्नलिखित हॉर्मोन शामिल होते हैं :
• मातृ पीयूष ग्रंथि से स्रावित ऑक्सीटोसिन हॉर्मोन गर्भाशय के तीव्र संकुचन को उद्दीपित करता है जिससे शिशु, माँ के गर्भाशय से जनन नाल द्वारा बाहर आ जाता है|
• अंडाशय से रिलैक्सिन हॉर्मोन का स्राव जन्म के समय प्रसव को आसान बनाने के लिए योनि को विस्तृत करता है|
19. हमारे समाज में लड़कियाँ जन्म देने का दोष महिलाओं को दिया जाता है| बताएँ कि यह क्यों सही नहीं है?
उत्तर
सभी मनुष्यों में गुणसूत्र के 23 जोड़े उपस्थित होते हैं| पुरूष में ऑटोसोम्स के 22 जोड़े तथा एक या दो प्रकार के लिंग गुणसूत्र या तो X या Y लिंग गुणसूत्र होते हैं जबकि स्त्री में ऑटोसोम्स के 22 जोड़े तथा X लिंग गुणसूत्र होते हैं| एक शिशु के लिंग का निर्धारण नर युग्मक (X या Y) के प्रकार से निर्धारित होता है, जो स्त्री के X गुणसूत्र के साथ निषेचन होता है| यदि निषेचित शुक्राणु X है तो वह एक मादा शिशु (लड़की) होगी और यदि Y है तो नर शिशु (लड़का) होगा| इस प्रकार हमारे समाज में लड़कियाँ जन्म देने का दोष महिलाओं को दिया जाना सही नहीं है|
20. एक माह में मानव अंडाशय से कितने अंडे मोचित होते हैं? यदि माता ने समरूप जुड़वां बच्चों को जन्म दिया हो तो आप क्या सोचते हैं कि कितने अंडे मोचित हुए होंगे? क्या आपका उत्तर बदलेगा यदि जुड़वां बच्चे, द्विअंडज यमज थे?
उत्तर
एक माह में मानव अंडाशय से केवल एक अंडा मोचित होता है|
यदि माता ने समरूप जुड़वां बच्चों को जन्म दिया हो तो एक ही अंडा मोचित हुआ होगा|
यदि जुड़वां बच्चे, द्विअंडज यमज थे, तो दो या दो से अधिक अंडे मोचित हुए होंगे|
21. आप क्या सोचते हैं कि कुतिया, जिसने 6 बच्चों को जन्म दिया है, के अंडाशय से कितने अंडे मोचित हुए थे?
उत्तर
कुतिया, जिसने 6 बच्चों को जन्म दिया है, के अंडाशय से 6 अंडे मोचित हुए थे|

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