राजस्थान में प्रजामंडल आंदोलन
किशनगढ़ | 1939 | कांतिलाल चौथाणी |
जैसलमेर | 1939/1945 | शिवशंकर गोपा / मिठालाल व्यास |
कुशलगढ़ | 1942 | भंवरलाल निगम, कन्हैयालाल सेठिया |
डूंगरपुर | 1944 | भोगीलाल पाण्ड्या |
बांसवाड़ा | 1945 | भूपेन्द्रनाथ, विनोद चंद्र |
प्रतापगढ़ | 1945 | अमृतलाल पायक |
झालावाड़ | 1946 | मांगीलाल भव्य |
- जयपुर प्रजामण्डल (1931)
- बूंदी प्रजामण्डल (1931)
- मारवाड़ प्रजामण्डल (1934)
- कोटा प्रजामण्डल (1938)
- धौलपुर प्रजामण्डल (1936)
- बीकानेर प्रजामण्डल (4 अक्टूबर 1936)
- शाहपुरा (18 अप्रेल 1938)
- मेवाड़ प्रजामण्डल (24 अप्रेल 1938)
- अलवर प्रजामण्डल (1938)
- भरतपुर प्रजामण्डल (मार्च 1938)
- सिरोही प्रजामण्डल (22 जनवरी 1939)
- करौली प्रजामण्डल (अप्रेल 1938)
- किशनगढ़ प्रजामण्डल (1939)
- कुशलगढ़ प्रजामण्डल (अप्रेल 1942)
- बांसवाड़ा प्रजामण्डल (1943)
- डूंगरपुर प्रजामण्डल (26 जनवरी 1944)
- प्रतापगढ़ प्रजामण्डल (1945)
- जैसलमेर प्रजामण्डल (15 दिसम्बर 1945)
- झालावाड़ प्रजामण्डल (25 नवम्बर 1946)
प्रजामण्डल का अर्थ है प्रजा का संगठन। सन 1920 के दशक में ठिकानेदारों और जागीरदारों के अत्याचार दिन प्रतिदिन बढ़ गए। इस कारण किसानों द्वारा विभिन्न आंदोलन चलाये जा रहे थे, साथ ही देश भर में गांधी जी के नेतृत्व में देश में स्वतंत्रता आन्दोलन भी चल रहा था। इन सभी के कारण राज्य की प्रजा में जागृती आयी और उन्होंने संगठन(मंडल) बना कर अत्याचारों के विरूद्ध आन्दोलन शुरू किया जो प्रजामण्डल आंदोलन कहलाये।
जयपुर प्रजामण्डल(1931)
सन् 1931 में कर्पूरचन्द पाटनी व जमनालाल बजाज के प्रयासों से जयपुर प्रजामण्डल की स्थापना की गयी।
सन् 1936 में जयपुर प्रजामण्डल का पुनगर्ठन हुआ एवं चिरंजीलाल मिश्र अध्यक्ष को बनाया गया।
सन् 1938 में जयपुर प्रजामण्डल अध्यक्ष जमना लाल बजाज को बनाया गया।
सन् 1942 में जयपुर प्रजामण्डल के तत्कालीन अध्यक्ष हीरालाल शास्त्री व रियासती प्रधानमंत्री मिर्जा इस्माइल के बीच जेन्टलमेट्स समझौता हुआ। जिसमें प्रजामण्डल को भारत छोड़ो आन्दोलन से अलग रखा गया।
इसके बाद प्रजामण्डल से अलग होकर एक नए संगठन का निर्माण किया गया जिसका नाम आज़ाद मोर्चा रखा गया, जिसने जयपुर में भारत छोड़ो आंदोलन का शुभारम्भ किया।
जयपुर प्रजामण्डल राजस्थान का प्रथम प्रजामण्डल था।
मेवाड़ प्रजामण्डल(24 अप्रेल 1938)
मेवाड़ प्रजामण्डल की स्थापना का श्रेय माणिक्यलाल वर्मा को जाता है। उनके प्रयासों से उदयपुर में 24 अप्रैल 1938 को बलवंतसिंह मेहता की अध्यक्षता में मेवाड़ परजमण्डल की स्थापना की गयी।
25-26 नवम्बर 1941 में मेवाड़ प्रजामण्डल का प्रथम अधिवेशन उदयपुर की शाहपुरा हवेली में माणिक्य लाल वर्मा की अध्यक्षता में हुआ, जिसका उद्घाटन जे.बी. कृपलानी ने किया।
प्रजामंडल ने बेगार एवं बलेठ प्रथा के खिलाफ अभियान चलाया।
9 अगस्त 1942 को शुरू किये गए भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लेने के कारण मेवाड़ प्रजामंडल को गैर कानूनी घोषित कर दिया गया।
मारवाड़ प्रजामण्डल(1934)
सन् 1934 मारवाड़ प्रजामण्डल की स्थापना जयनारायण व्यास(शेर-ए-राजस्थान) ने जोधपुर में की एवं भंवरलाल सर्राफ को मारवाड़ प्रजामण्डल का अध्यक्ष बनाया गया।
सन् 1937 में मारवाड़ प्रजामण्डल को गैर कानूनी घोषित कर दिया गया।
इसके बाद 1938 में रणछोड़ दास गट्टानी की अध्यक्षता में मारवाड़ लोक परिषद् का गठन हुआ।
मारवाड़ लोक परिषद् में महिमा देवी किंकर के नेतृत्व में महिलाओं ने भाग लिया।
1942 में मारवाड़ लोक परिषद् ने भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय हिस्सा लिया।
3 मार्च 1948 को जयनारायण व्यास के नेतृत्व में एक मिलीजुली लोकप्रिय सरकार का गठन किया गया।
३० मार्च 1949 को जोधपुर रियासत का राजस्थान में विलय हो गया।
भरतपुर प्रजामण्डल(1938)
भरतपुर रियासत में अंग्रेज सरकार की दमनकारी निति की विरोध में 1928 में भरतपुर राज्य प्रजा संघ की स्थापना की गयी।
इसके बाद 1938 में श्री किशन लाल जोशी के प्रयासों से भरतपुर प्रजामण्डल की स्थापना की गयी।
1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान प्रजामण्डल के अधिकांश नेताओं को गिरफ्तार किया गया। महिलाओं का नेतृत्व श्रीमती सरस्वती बोहरा कर रही थी।
बूंदी प्रजामण्डल(1931)
सन् 1931 में श्री कांतिलाल द्वारा स्थापित किया गया ।
बूंदी राज्य लोक परिषद की स्थापना १९ जुलाई 1944 में हरिमोहन माथुर एवं बृजसुंदर शर्मा द्वारा की गई।
कोटा प्रजामण्डल(1934)
हाड़ोती प्रजामण्डल के नाम से नयनूराम शर्मा एवं प्रभुलाल विजय द्वारा की गयी।
इसके बाद सन् 1938 में नयनूराम शर्मा व अभिन्न हरि द्वारा कोटा प्रजामण्डल गठित किया गया।
करौली प्रजामण्डल(18 अप्रेल 1939)
18 अप्रैल, 1939 में श्री त्रिलोकचंद माथुर, चिरंजीलाल शर्मा व कुंवर मदन सिंह द्वारा गठित।
धौलपुर प्रजामण्डल(1936)
सन् 1936 में कृष्णदत्त पालीवाल, श्री मूलचंद श्री ज्वाला प्रसाद जिज्ञासु आदि द्वारा गठित।
बीकानेर प्रजामण्डल(4 अक्टूबर 1936)
4 अक्टूबर, 1936 को वैद्य मघाराम(अध्यक्ष) व श्री लक्ष्मणदास स्वामी द्वारा गठित किया गया।
राजस्थान का एकमात्र प्रजामण्डल जिसकी स्थापना कलकत्ता में हुई।
22 जुलाई 1942 में रघुवरदयाल द्वारा बीकानेर राज्य परिषद् का गठन किया गया।
शाहपुरा(18 अप्रेल 1938)
18 अप्रैल, 1938 को श्री रमेशचन्द्र औझा, लादूराम व्यास व अभयसिंह डांगी द्वारा श्री माणिक्य लाल वर्मा के सहयोग से गठित किया गया।
शाहपुरा प्रथम रियासत थी जिसने उत्तरदायी शासन की स्थापना की।
अलवर प्रजामण्डल(1938)
सन् 1938 में पं. हरिनारायण शर्मा एवं कुंजबिहारी मोदी द्वारा स्थापित किया गया। सन् 1939 में इसके रजिस्ट्रेशन के बाद सरदार नत्थामल इसके अध्यक्ष बने।
सिरोही प्रजामण्डल(23 जनवरी 1939)
23 जनवरी, 1939 को श्री गोकुलभाई भट्ट(राजस्थान का गाँधी) की अध्यक्षता में सिरोही प्रजामण्डल का गठन हुआ।
किशनगढ़ प्रजामण्डल(1939)
1939 में श्री कांतिलाल चौथानी एवं श्री जमालशाह(अध्यक्ष) द्वारा स्थापित हुआ।
कुशलगढ़ प्रजामण्डल(अप्रेल 1942)
अप्रैल, 1942 में श्री भंवरलाल निगम(अध्यक्ष) व कन्हैयालाल सेठिया द्वारा गठित हुआ।
बांसवाड़ा प्रजामण्डल(1943)
सन् 1943 में भूपेन्द्रनाथ त्रिवेदी, धूलजी भाई भावसर, मणिशंकर नागर आदि द्वारा स्थापित।
डूंगरपुर प्रजामण्डल(1 अगस्त 1944)
भोगीलाल पाड्या (वागड़ का गांधी) एवं शिवलाल कोटरिया द्वारा गठित किया गया।
प्रतापगढ़ प्रजामण्डल(1945)
सन् 1945 में श्री चुन्नीलाल एवं अमृतलाल के प्रयासों से स्थापित हुआ।
जैसलमेर प्रजामण्डल(15 दिसम्बर 1945)
15 दिसम्बर, 1945 को मीठालाल व्यास ने जोधपुर में जैसलमेर प्रजामण्डल की स्थापना की।
झालावाड़ प्रजामण्डल(25 नवम्बर 1946)
25 नवम्बर, 1946 को श्री मांगीलाल भव्य(अध्यक्ष), कन्हैयालाल मित्तल, मकबूल आलम द्वारा गठित गया।