राजस्थान की मिट्टियाँ
यहाँ इस पोस्ट में आप को राजस्थान की मिट्टियों के बारे में बताया गया है राजस्थान में कितने प्रकार व कहा पर कोनसी मिट्टी पाई जाती है जाने इस पोस्ट में और यदि आप रोजाना लगातार अपडेट हासिल करना चाहतें है तो हमारे फेसबुक पेज को लाइक करे Click Now
रेतीली / बलुई मिट्टी :-
राजस्थान के सबसे अधिक शेत्र (पश्चमी राजस्थान ) में इस प्रकार की मिट्टी पाई जाती है
कच्छारी/जलोड/दुमट /कॉप मिट्टी :-
यह सबसे उपजाऊ मिट्टी है अलवर, भरतपुर ,धोलपुर, दौसा, जयपुर ,गंगानगर टोंक, तथा हनुमानगड जिलो में पाई जाती है
चाही :- चम्बल के बीहड़ शेत्रो में कछारी मिट्टी का जमाव है जिसमे राजस्व की द्र्स्टी से भूमि का दो भागो में विभाजन है| सिंचित भाग ‘चाही’ कहलाता है
काली/रेगर मिट्टी :-
कोटा बूंदी तथा झालावाड जिलो के पठारी शेत्रो में पाई जाती है | इसमें सिंचाई द्वारा कपास की खेती की जाती है |
भूरी मिट्टी :-
अरावली के पूर्वी भाग में बनास व उसकी सहायक नदियाँ के शेत्रोमें पाई जाती है |
सिरोजम मिट्टी :-
अरावली के पश्चिम में रेत के छोटे टीलो भाग में पाई जाने वाले भाग में पाई जाने के कारण यह धुषर मरुस्थलीय मिट्टी कहलाती है |
लवणीय मिट्टी :-
यह गंगानगर, बीकानेर ,हनुमानगड ,बाड़मेर एवम जालौर जिले में पाई जाती है |
पर्वतीय मिट्टी :-
अजमेर अलवर सिरोही उदयपुर पाली के पहाड़ी भागो में पाई जाने वाली इस मिट्टी की गहराई बहुत कमहोती है | इसमें केवल जंगल ही लगाये जा शकते है |
लवणीय / क्षारीयता की समस्या :-
पश्चमी राजस्थान में क्लोराइड आदि लवण मिट्टी की उपरी सतह पर इक्कठे हो जाते है | इस मिट्टी को उषर , नमकीन /रेह भी कहते है |
मिट्टी में खारापन या शारियता की समस्या के समाधान हेतु जिप्सम का प्रयोग किया जाता है |
बीहड़ भूमि :-
इसका सर्वाधिक विस्तार सवाईमाधोपुर एवम करौली जिले में है|
मृदा अपरदन :-
राज्य में सर्वाधिक प्रभावित भूमि वायु अपरदन एवम उसके बाद जल अपरदन से है |
अवनालिका अपरदन / कन्दरा समस्या :-
भारी वर्षा के कारण जल द्वारा मिट्टी का कटाव जिससे गहरी घाटी तथा नाले बन जाते है | इस समस्या के कोटा (सर्वाधिक ) बूंदी , धोलपुर , भरतपुर ,जयपुर तथा सवाईमाधोपुर जिले ग्रस्त है |
चम्बल :- मिट्टी का सर्वाधिक अवनालिका अपरदन इस नदी में होता है|
परतदार अपरदन :-
वाऊ द्वारा मृदा की उपरी परत का उड़ाकर ले जाना |