फ्यूज क्या है | ये कितने प्रकार का होते हैं
फ्यूज क्या होता है
फ्यूज हमेशा किसी भी सर्किट या उपकरण के क्रम (Series )में लगाया जाता है . किसी भी उपकरण पर जब फ्यूज लगाया जाता है.तो उसके सामान्य करंट लोड के आधार पर फ्यूज लगाया जाता है.ताकि अगर उपकरण में किसी प्रकार की कोई खराबी हो तो जब उसका करंट लोड बढ़े तो फ्यूज जल जाए और उपकरण की सप्लाई बंद हो जाए. बहुत बार ओपन में किसी कारण से शार्ट सर्किट हो जाता है. जिससे कि उपकरण को काफी नुकसान हो सकता है. इसी नुकसान को बचाने के लिए फ्यूज का इस्तेमाल किया जाता है. जब भी उपकरण में शार्ट सर्किट होता है. तो सबसे पहले फ्यूज जल जाता है. और उपकरण की सप्लाई उसी समय बंद हो जाती है. इसलिए फ्यूज का इस्तेमाल हर जगह पर किया जाता है .और यह आपको अपने घर में भी इस्तेमाल करना चाहिए |
फ्यूज का तार
फ्यूज को हमेशा ही फेस वायर के क्रम में जोड़ा जाता है. और फ्यूज का तार कम प्रतिरोध वाला होना चाहिए जैसे कि चांदी तांबा एल्मुनियम इत्यादि. चांदी महंगे होने के कारण इसका इस्तेमाल बहुत ही कम किया जाता है. लेकिन ज्यादातर लेड ट्रिन एलाय का इस्तेमाल किया जाता है जिसमें लेड मात्रा 65% और टीम की मात्रा 37% होती है.फ्यूज तार की विशेषता यह होती है कि उसका गलनांक बिंदु बहुत कम होता है. किसी भी उपकरण में ओवरलोड होने पर यह तार बहुत जल्दी पिघल जाता है और उपकरण की सप्लाई को बंद कर देता है.नीचे आपको ऐसे तारों के नाम बताए गए हैं जिनका इस्तेमाल फ्यूज बनाने के लिए किया जाता है |
क्रम नंबर | धातु | गलनांक बिंदु ( फ़ारेनहाइट में) |
1. | ताबा | 2000 |
2. | चांदी | 1830 |
3. | एलमुनियम | 1243 |
4. | एंटी मनी | 833 |
5. | जस्ता | 783 |
6. | सीसा | 625 |
7. | टिन | 464 |
फ्यूज के प्रकार
1. fuse base
2. fuse carrier
3. fuse element
1. fuse Base – fuse base एक एसा भाग होता है जिसमे सप्लाई का फेज तार तथा लोड का फेज तार जोड़ा जाता है एवं इसको किसी वूडन , बेकेलाइट , pvc या अन्य किसी अचालक आवरण पर कसा जाता है |
2. fuse carrier- यह भाग fuse base के ऊपर लगाया जाता है | जिसके अन्दर एक निश्चित मान का fuse वायर कसा जाता है | जो की सप्लाई फेज को लोड तक पहुंचाता है |
3. fuse element – यह fuse का सबसे प्रमुख भाग है | यह एक मिश्र धातु से बना तार का टुकड़ा होता है जिसको fuse carrier में कसा जाता है | जब सर्किट से अधिक मान की विद्युत धारा प्रवाहित होती है तो यह fuse वायर जल जाता है तथा सर्किट को सुरक्षित रखता है | इसे fuse carrier में हमेशा ना तो ज्यादा ढीला ना ज्यादा टाइट कसते हे |
फ्यूज के प्रकार | types of fuse
अलग – अलग परिपथ एवं उपकरण के अनुसार fuse निम्न प्रकार के होते है –
1. किट केट फ्यूज या रिवायरएबल फ्यूज
2. राउंड फ्यूज
3. कार्ट्रिज फ्यूज
4. प्लग प्रकार का फ्यूज
5. HRC ( high rupturing capacity ) फ्यूज
कारट्रीज फ्यूज
कारट्रीज फ्यूज पूरी तरह से बंद होता है. और बंद होने के कारण इन पर वातावरण का प्रभाव नहीं पड़ता इसीलिए इनका फ्युजिंग करंट स्थिर रहता है.यह इंसुलेटिंग पदार्थ से बना होता है और इसका आकार एक सिलेंडर या ट्यूब के जैसा होता है और इस प्रकार के फ्यूज के दोनों सिरों पर पीतल या तांबे की कैप लगी होती है और इन दोनों तरफ कैप पर फ्यूज का तार जुड़ा होता है|
इस फ्यूज के अंदर पाउडर भरा जाता है जो कि फ्यूज के चलने पर चिंगारी को फैलने से रोकता है. इस फ्यूज के ऊपर एक इंडेक्स Circle बना होता है जो कि पहले सफेद होता है. लेकिन अगर फ्यूज उड़ जाए तो इसका रंग काला हो जाता है जिसे देख कर पता चल जाता है. कि फ्यूज जल गया है यह फ्यूज काफी महंगे होते हैं और इनका इस्तेमाल ज्यादातर किया जाता है|
एच आर सी फ्यूज
एच आर सी का पूरा नाम हाई रपचरिंग कैपेसिटी ( High Rupturing Capacity) होता है. दिखने में इसका आकार भी कारट्रीज फ्यूज के जैसा होता है.और यह कांच या फाइबर का बना होता है. इस फ्यूज की विशेषता यह है कि यह ओवरलोड या शॉर्ट सर्किट के करंट को कुछ समय तक सहन कर सकता है लेकिन अगर ओवरलोड या शार्ट सर्किट का करंट ज्यादा देर तक रहे तो फ्यूज उड़ जाता है .इसके अंदर भी केमिकल पाउडर भरा जाता है और यह एयर टाइट बंद होता है जिसके कारण इस पर वातावरण का कोई भी प्रभाव नहीं पड़ता |
किट-कैट या रिवायरेबल फ्यूज
क्रिकेट शूज के दो भाग होते हैं जिसमें से एक भाग से Fixed होता है जिसे फ्यूज बेस कहते हैं और दूसरा भाग कैरियर होता है जिस पर निर्धारित करंट वाला फ्यूज लगाया जाता है. अगर किसी कारणवश फ्यूज जल जाता है तो फ्यूज कैरियर को फ्यूज बेस में से निकालकर दोबारा नया तार लगाया जा सकता है .यह फ्यूज चीनी मिट्टी द्वारा बनाया जाता है और इसका इस्तेमाल घरेलू वायरिंग में बहुत ज्यादा किया जाता है.घरेलू वायरिंग में 5 Amp/250v और 15amp/250v वाले शूज का इस्तेमाल किया जाता है और बड़े-बड़े कारखानों में 300amp/440v तक के फ्यूज का इस्तेमाल किया जाता है |
गोल फ्यूज
यह टंबलर टाइप के गोलाकार वाले फ्यूज होते हैं. जो की बैकलाइट के बने होते हैं. इसके दो भाग होते हैं आधार और कवर .आधार पर 2 Fixed पेंच वाले टर्मिनल लगे होते हैं. जिसके बीच में फ्यूज की तार को लगाई जाती है और फिर चूड़ी वाले कवर से इसे बंद कर दिया जाता है .इस प्रकार के फ्यूज को बदलने में बहुत दिक्कत आती है. क्योंकि इसके एक टर्मिनल पर हर समय फेज वायर जुड़ा रहता है और इसी कारण फ्यूज की तार को बदलते समय शॉक लगने का भी खतरा रहता है |